भारतीय सेना अपनी मारक क्षमता में और इजाफा करने जा रही है. भारतीय सेना ने 100 से ज्यादा 'स्काईस्ट्राइकर' ड्रोन के लिए एक समझौता किया है. विस्फोटकों से लदे एवं बेहद घातक इन ड्रोन का निर्माण बेंगलुरू की एक कंपनी इजरायल के एल्बीट सेक्युरिटी सिस्टम के साथ मिलकर करेगी.
स्काईस्ट्राइकर ड्रोन की रेंज लगभग 100 किलोमीटर होगी. यह अपने साथ पांच अथवा 10 किलोग्राम के विस्फोटक के साथ दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है. साल 2019 के फरवरी में पाकिस्तान पर भारत के एयर स्ट्राइक के बाद दुनिया को भारतीय सेना की शक्ति का एहसास हुआ था.
इसकी खासियत
दुश्मन के ठिकाने को तबाह करने के लिए इस ड्रोन को डिजाइन किया गया है. यह मानवरहित एरियल हथियार है, इसलिए इसमें जवानों की जान को भी कोई खतरा नहीं है. कंपनी का कहना है कि उड़ान के दौरान यह ड्रोन खुद के नेविगेशन का उपयोग करता है.
इस ड्रोन की एक और खासियत यह है कि यह खुद अपने लक्ष्य को ढूंढकर उन पर हमला करता है. इतना ही नहीं यह चुपके से ठिकानों पर धावा बोलकर दुश्मन को हैरान कर सकता है. सेना को 'सूसाइड ड्रोन' मिलने के बाद उसकी ताकत और बढ़ जाएगी.
एल्बीट सिस्टम के मुताबिक इस हथियार की लागत कम है और यह लंबी दूरी पर सटीकता के साथ हमला करने में सक्षम है. कंपनी का कहना है कि यह ड्रोन सेना की स्पेशल फोर्सेज के लिए काफी अहम होगा. यह उनकी मारक क्षमता को बढ़ाएगा. वे और सटीकता के साथ दुश्मन पर हमला कर पाएंगे.
इस ड्रोन को और किस नाम से जाना जाता है?
इस आत्मघाती ड्रोन को 'सूसाइड ड्रोन' अथवा 'कैमिकेज ड्रोन' के नाम से भी जाना जाता है. स्काई स्ट्राइकर 10 मिनट में 20 किलोमीटर की दूरी तक पहुंच सकता है. भारतीय सेना और बेंगलुरु स्थित कंपनी अल्फा डिजायन इजरायल की फर्म एल्बीट सेक्युरिटी सिस्टम के बीच यह समझौता 100 करोड़ रुपए में हुआ.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation