रेल तथा कोयला मंत्री पीयूष गोयल के निर्देशानुसार रेल मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय में 28 दिसंबर 2017 को विभिन्न रेलवे स्टेशनों की श्रेणियों में व्यापक संशोधन किया ताकि इसे व्यावहारिक और युक्तिसंगत बनाया जा सके.
स्टेशनों पर अधिक कारगर और केन्द्रित तरीके से यात्रियों सेवाओं और यात्रियों सुविधाओं की योजना बनाने तथा इससे यात्रियों को स्टेशनों पर बेहतर यात्रा सुविधाएं देने के लिए यह पुनर्वर्गीकरण किया गया है.
क्या बदलाव किया गया?
• स्टेशनों का श्रेणीकरण पहले केवल वार्षिक यात्री आय के आधार पर किया जाता था. स्टेशन सात श्रेणियों- ए1, ए, बी, सी, डी, ई तथा एफ थीं.
• अब स्टेशनों का श्रेणीकरण मानकों में एक स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या को शामिल किया गया है.
• स्टेशनों को प्रकार के आधार पर अलग-अलग करके तीन ग्रुपों यानी गैर-उपनगरीय (एनएस), उप-नगरीय (एस) तथा हाल्ट (एच) में रखा गया है.
• इन ग्रुपों को एनएचएसजी 1-6, एसजी1-3 तथा एचजी 1-3 रेंज ग्रेडों में रखा गया है.
• नए मानक में छोटे स्टेशनों को ऊंचे दर्जे की सुविधाएं मिलेगी जिससे यात्री संतुष्टि बढ़ेगी.
पुनर्वर्गीकरण का लाभ
• पुराने मानक में अत्याधिक यात्री वाले स्टेशनों (बड़ी संख्या में यात्रियों तथा एमएसटी पासधारकों) को उच्च श्रेणी के स्टेशन में कवर नहीं किया जाता था जिसके कारण यह स्टेशन निचले स्तर की सुविधाओं के लिए पात्र होते थे.
• नए मानक के अनुसार स्टेशनों पर आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या को बराबर महत्व दिया गया है और स्टेशनों के श्रेणीकरण में एक मानक माना गया है.
• इसके अतिरिक्त रेल मंत्रालय ने सभी महाप्रबंधकों को बिना किसी सीमा के सुरक्षा संबंधी कार्यों को बारी से पहले स्वीकृत करने की सभी शक्तियां दी हैं.
• यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए श्रेणियों के बगैर ही सभी स्टेशनों पर दी जाने वाली सुविधाओं में फुट ओवर ब्रिज, ऊंचा प्लेटफॉर्म तथा व्हीलचेयर लाने-ले जाने के लिए ट्रॉली मार्ग शामिल हैं.
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