असम स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों की टीम ने जल शोधन के लिए इको-फ्रेंडली नैनो-टेक्नोलॉजी विकसित करने में सफलता प्राप्त की.
इस संबंध में 30 मार्च 2016 को पत्रिका नैनोस्केल में जानकारी प्रकाशित की गयी. इसे आईएएसएसटी के उपमा बरुआ एवं अच्युत कोंवर द्वारा लिखा गया.
मुख्य बिंदु
• यह हरित तकनीक पहली बार प्रयोग में लाई जाएगी जिसके द्वारा पानी को स्वच्छ करने के लिए बायोडिग्रेडेबल एवं हरित पदार्थों का उपयोग किया जायेगा.
• इसे पीने योग्य पानी तैयार करने के लिए नगर-निगम संगठनों के संयंत्रों में प्रयोग किया जा सकता है.
• यह तकनीक दरअसल बायोपोलीमर है जिसमें प्राकृतिक पदार्थ चिटोसन का प्रयोग करता है.
• चिटोसन शेलफिश के कठोर कंकाल से प्राप्त किया जाता है, इसके अतिरिक्त इसे केकड़े और झींगे से भी प्राप्त किया जाता है.
यह कैसे कार्य करता है?
• पारंपरिक जल शोधन प्रक्रिया में सिंथेटिक पदार्थ उपयोग किये जाते हैं जबकि इस नयी पद्धति में नैनोकणों का प्रयोग किया जाता है.
• यह नैनोकण पानी से कैल्शियम एवं मैग्नीशियम अवयव निकालकर उसे शुद्ध बनाते हैं.
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