भारत के यात्रा एवं पर्यटन उद्योग में 2.5 फीसद की वृद्धि से बढ़ने की क्षमता है. ऐसा उच्च बजटीय आवंटन और कम लागत वाली स्वास्थ्य सुविधा के चलते संभव हुआ है. यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया.
एसोचैम और येस बैंक द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन में स्पष्ट किया गया कि इंडियन टूरिज्म इंडस्ट्री में 2.5 फीसद की वृद्धि से बढ़ने की क्षमता है, बशर्ते सरकार 0.9 फीसदी के बजटीय आवंटन को बढ़ाकर वित्त वर्ष 2018-19 में 0.15 फीसदी कर दे.
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साथ ही इस अध्ययन में विकासात्मक हस्तक्षेप का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें पर्यटन अवसंरचना का विकास और पर्यटन थीम को विकसित करना सम्मिलित है. देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में पर्यटन का योगदान 2016 में 208.9 अरब डॉलर रहा, जो जीडीपी का 9.6 फीसद है और अनुमान है कि 2017 में इसमें 6.7 फीसद की बढ़ोतरी होगी. वर्ष 2017 तक जीडीपी में इसका योगदान बढ़कर 10.0 फीसद हो जाएगा.
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एसोचैम के सुझाव-
- एसोचैम के अनुसार “राष्ट्रीय पर्यटन प्राधिकरण (एनटीए) का गठन प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए.
- साथ ही इसे अहम अथॉरिटी के रूप में भी पेश किया जाना चाहिए.
- एनटीए कई गतिविधियों के लिए नोडल एजेंसी हो सकती है जैसे कि निवेश प्रोत्साहन, विपणन, वृद्धि संकल्प, विकास योजना और कार्यान्वयन समन्वय.
- कम उपचार लागत पर बेहतर गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं के कारण यह बताते हुए कि भारत तेजी से एशिया के एक चिकित्सा और कल्याण पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित हो रहा है.
- रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रमुख शल्य चिकित्सा के उपचार में लगभग 20 फीसद का खर्च होता है, जैसा कि विकसित देशों में होता है.
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