2018 के दौरान भारत में 105 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन हुआ: IEA रिपोर्ट

Mar 28, 2019, 12:59 IST

आईईए की रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा खपत बढऩे का सबसे अधिक लाभ प्राकृतिक गैस का हुआ. कुल ऊर्जा मांग बढ़ोतरी में इसकी हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत रही. रिपोर्ट के अनुसार जीवाश्म ईंधनों की मांग भी लगातार दूसरे साल बढ़ी है और ऊर्जा खपत में इसका योगदान सबसे अधिक रहा है.

India’s energy demand outpaces global growth: IEA
India’s energy demand outpaces global growth: IEA

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के अनुसार साल 2018 के दौरान भारत में 105 मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन हुआ हैं. विश्व भर में ऊर्जा की बढ़ी खपत के कारण साल 2018 में कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया.

आईईए की आज जारी ग्लोबल एनर्जी एंड सीओ2 स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों में हीटिंग और कूलिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए और वैश्विक अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार के कारण वैश्विक ऊर्जा खपत बीते साल 2.3 प्रतिशत बढ़कर करीब दोगुनी हो गयी.

रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य:

•   आईईए की रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा खपत बढऩे का सबसे अधिक लाभ प्राकृतिक गैस का हुआ. कुल ऊर्जा मांग बढ़ोतरी में इसकी हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत रही.

   रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधनों की मांग भी लगातार दूसरे साल बढ़ी है और ऊर्जा खपत में इसका योगदान सबसे अधिक रहा है.

   नवीकरणीय ऊर्जा की मांग भी बढ़ी है लेकिन यह अब भी बिजली की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है.

   रिपोर्ट के मुताबिक, ऊर्जा खपत बढऩे के कारण साल 2018 में कार्बन उत्सर्जन का स्तर भी 1.7 प्रतिशत बढ़ गया जिसमें सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन कोयला चालित विद्युत संयंत्रों से हुआ. ऊर्जा संबंधी कार्बन उत्सर्जन में इसकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत रही.

   रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 3.7 प्रतिशत बढ़ी, जिसका सीधा असर ऊर्जा मांग पर रहा. साल 2010 से यह दर औसतन 3.5 प्रतिशत रही थी. कुल वैश्विक ऊर्जा मांग बढ़ोतरी में 70 प्रतिशत योगदान भारत और चीन का है.

   रिपोर्ट के अनुसार, सभी प्रकार के जीवाश्म ईंधनों तथा बिजली क्षेत्र के कारण साल 2018 में कार्बन उत्सर्जन ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया. कार्बन उत्सर्जन में हुई कुल बढोतरी में बिजली क्षेत्र से हुए उत्सर्जन का योगदान करीब दो तिहाई रहा.

•   रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 से साल 2016 के बीच कार्बन उत्सर्जन का स्तर लगभग स्थिर रहा. ऐसा ऊर्जा दक्षता बढऩे तथा कम कार्बन उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण कोयले के इस्तेमाल में आयी गिरावट की वजह से हुआ.

   रिपोर्ट के अनुसार, बिजली उत्पादन हेतु कोयले का सबसे अधिक इस्तेमाल एशियाई देशों में हुआ है. कार्बन उत्सर्जन में हुई बढोतरी में 85 प्रतिशत योगदान चीन, भारत और अमेरिका का रहा. इस दौरान जापान, जर्मनी, फ्रांस, मेक्सिको और ब्रिटेन में कार्बन उत्सर्जन घटा है.

   आईईए ने पहली बार वैश्विक तापमान वृद्धि में जीवाश्म ईंधनों के असर का आंकलन किया है. आईईए ने पाया की वैश्विक तापमान में होने वाली एक डिग्री सेल्सियस की बढोतरी में कोयले के जलने के कारण हुए कार्बन उत्सर्जन का योगदान 0.3 डिग्री सेल्सियस का है.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के बारे में:

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी साल 1974 में स्थापित किए गए थे. इसका मुख्य उद्देश्य तेल की आपूर्ति में प्रमुख बाधाओं के सामूहिक प्रतिक्रिया का समन्वय कर मुख्य रूप से अपने 29 सदस्य देशों को विश्वसनीय, न्यायोचित और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करना है. आईईए के चार प्रमुख क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरणीय जागरुकता और विश्व में ऊर्जा के प्रति वचनबद्धता हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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