भारत के कोविड-19 टीकाकरण प्रयासों को गति देने के लिए एक अन्य भारतीय कंपनी, शिल्पा मेडिकेयर भी स्पुतनिक V वैक्सीन की निर्माण क्षमता बढ़ाने के प्रयासों में शामिल हो गई है.
सितंबर, 2020 में हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरीज़ ने रूस के स्पुतनिक V कोविड-19 वैक्सीन के क्लिनिकल परीक्षण के साथ-साथ भारत में इसके वितरण अधिकारों के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के साथ भागीदारी की थी.
रूस की स्पुतनिक V कोविड-19 वैक्सीन को 12 अप्रैल, 2021 को भारत में उपयोग के लिए मंजूर किया गया था और इस वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण दिया गया था.
शिल्पा मेडिकेयर 50 मिलियन खुराक का उत्पादन करेगी
स्पुतनिक V ने ट्विटर पर इस खबर को साझा करते हुए यह घोषणा की है कि, भारतीय कंपनी शिल्पा मेडिकेयर स्पुतनिक V निर्माण क्षमता बढ़ाने के प्रयासों में शामिल हो गई है.
Another Indian company joins the effort to ramp #SputnikV manufacturing capacity. India's Shilpa Medicare will produce 50 mln doses of #SputnikV in the next 12 months. It will also explore the possibility to produce single-shot Sputnik Light.👇 https://t.co/M5lurxp1qB
— Sputnik V (@sputnikvaccine) May 17, 2021
शिल्पा मेडिकेयर अगले 12 महीनों में स्पुतनिक V वैक्सीन की 50 मिलियन खुराक का उत्पादन करेगी. फर्म स्पुतनिक लाइट नामक सिंगल-शॉट वैक्सीन के निर्माण की संभावना भी तलाश रही है.
भारत को स्पुतनिक V वैक्सीन की खेप मिली
भारत को रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन की दूसरी खेप 16 मई, 2021 को मिली है. हैदराबाद में डॉ रेड्डीज़ लैबोरेटरी ने जानकारी दी है कि, इस दूसरी खेप में स्पुतनिक V की 60,000 खुराक की है.
स्पुतनिक V वैक्सीन की आयातित खुराक की पहली खेप 01 मई, 2021 को भारत में उतरी थी. इसे 13 मई को हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला से नियामक मंजूरी मिली थी.
01 मई, 2021 को भारत में रूस की इस वैक्सीन के पहले बैच के आने के बाद, हैदराबाद में रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन के साथ टीकाकरण शुरू हुआ.
स्पुतनिक V: भारत में इस्तेमाल होने वाली पहली विदेश निर्मित वैक्सीन
स्पुतनिक V कोविड-19 वैक्सीन भी भारत में इस्तेमाल होने वाली पहली विदेश निर्मित वैक्सीन बन गई है, जो दुनिया में सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान में अपना योगदान दे रही है.
अब तक, दो मेक इन इंडिया टीके - कोविशील्ड और कोवैक्सिन - का उपयोग भारतीयों को टीका लगाने के लिए किया जा रहा है. कोवैक्सीन को भारत बायोटेक द्वारा ICMR के सहयोग से विकसित किया गया है, जबकि कोविशील्ड का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे द्वारा किया गया है.
भारत में रूसी राजदूत निकोले कुदाशेव ने 16 मई को कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में इसे रूसी-भारतीय सहयोग करार दिया है. उन्होंने इसे एक प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय महामारी विरोधी सहयोग भी कहा है.
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