भारतीय वायुसेना में चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल, जानें खासियत

Mar 26, 2019, 11:39 IST

चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से ना सिर्फ़ सेना को युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि इसके ज़रिए प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलेगी.

Induction of Chinook Helicopters in Indian Air Force
Induction of Chinook Helicopters in Indian Air Force

भारतीय वायुसेना ने 25 मार्च 2019 को चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर औपचारिक रूप से सीएच 47 एफ (I) चिनूक हेलीकॉप्टर को अपने बेड़े में शामिल कर लिया. इस मौके पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी मौजूद थे, जिन्‍होंने इसे 'राष्‍ट्रीय धरोहर' करार दिया.

चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से ना सिर्फ़ सेना को युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि इसके ज़रिए प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलेगी.

इस हेलीकॉप्टर का दुनिया के कई भिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में काफी क्षमता से संचालन होता रहा है. चिनूक हेलीकॉप्टर अमेरिकी सेना के अतिरिक्त कई देशों की सेनाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहा है.

भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2015 में 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों के लिए मेसर्स बोइंग लिमिटेड के साथ समझौता किया था. चार हेलीकॉप्टरों की पहली खेप समय पर उपलब्ध करा दी गयी थी. अंतिम खेप मार्च 2020 तक पहुंच जाएगी. इन हेलीकॉप्टरों को भारत के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा.

चिनूक का निर्माण बोइंग कंपनी करती है. हालांकि ये साल 1962 से प्रचलन में हैं. लेकिन बोइंग ने समय-समय पर इनमें सुधार किया है, इसलिए आज भी करीब 25 देशों की सेनाएं इनका इस्तेमाल करती हैं.

चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियत:

   इस हेलिकॉप्टर की ख़ासियत है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है.

   यह हेलीकॉप्टर किसी भी तरह के मौसम का सामना कर सकता है.

   इस हेलीकॉप्टर के ज़रिए भारतीय सेना अपनी टुकड़ियों को दुर्गम और ऊंचे इलाकों में जल्दी पहुंचा सकेगी, सेना को हथियार आसानी से मुहैया करवाए जा सकेंगे.

•   यह हेलीकॉप्टर बहुत तेजी से उड़ान भरने में सक्षम है, यही वजह है कि यह बेहद घनी पहाड़ियों में भी सफ़लतापूर्वक काम कर सकता है.

   चिनूक हेलीकॉप्टर लगभग 11 टन तक का भार उठा सकता है.

   चिनूक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है जिनका उपयोग दुर्गम और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जवानों, हथियारों, मशीनों तथा अन्य प्रकार की रक्षा सामग्री को ले जाने में किया जाएगा.

   यह हेलिकॉप्टर घने कोहरे और धुंध में भी एक्शन लेने में सक्षम है. यह बेहद कुशलता से मुश्किल से मुश्किल जमीन पर भी ऑपरेट कर सकता है. इसे किसी भी मौसम में हर दिन-हर मिनट ऑपरेट किया जा सकता है.

चिनूक हेलीकॉप्टर इन देशों के पास:

पहली बार फरवरी 2007 में नीदरलैंड इस हेलीकॉप्टर का पहला विदेशी खरीददार बना था. उसने CH-47F के 17 हेलीकॉप्टर खरीदे थे. इसके बाद कनाडा ने साल 2009 में CH-47F के 15 अपग्रेड वर्जन हेलीकॉप्टर खरीदे थे. ब्रिटेन ने दिसंबर 2009 में 24 हेलीकॉप्टर खरीदे थे. ऑस्ट्रेलिया ने साल 2010 में पहले सात और फिर तीन CH-47D हेलीकॉप्टर खरीदे थे. सिंगापुर ने साल 2016 में 15 हेलीकॉप्टर का ऑर्डर कंपनी को दिया था. इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल 19 देशों की सेनाएं करती हैं.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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