International Day of Sign Languages 2021: हर साल 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day of Sign Languages) के रूप में मनाया किया जाता है. यह दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है. दुनिया भर में ऐसे कई लोग है, जो बोल या सुन नहीं सकते है. वे अपनी बात करने के लिए अपने हाथों से चेहरे के हाव-भाव से बात करते है.
यह दिवस 2018 से मनाया जा रहा है. यह दिवस प्रतिवर्ष 23 सितंबर को पूरे विश्वभर में बधिर व्यक्तियों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस का मुख्य उदेश्य जो बधिर लोग होते है उनको शरीर के हाव-भाव से भाषा (बोलना) सिखाना है.
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 23 सितंबर ही क्यों?
अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 23 सितंबर को मनाने के लिए चुना गया है क्योंकि इस दिन बधिरों का विश्व संघ (World Federation of the Deaf) का गठन किया गया था. यह बधिरों का विश्व संघ है जो अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने की अवधारणा लेकर आया था.
सांकेतिक भाषाओं का पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस
सांकेतिक भाषाओं का पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस 2018 में बधिरों के अंतरराष्ट्रीय सप्ताह के साथ मनाया गया था. इस सप्ताह को पहली बार 1958 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ द्वारा मनाया गया था.
72 मिलियन से अधिक लोग बधिर
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के मुताबिक, पूरी दुनिया में 72 मिलियन से अधिक बधिर लोग हैं. 80 प्रतिशत से अधिक बधिर लोग विकासशील देशों में रहते हैं और 300 से अधिक सांकेतिक भाषाओं का उपयोग करते हैं.
आपको बता दे साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में लगभग 50 लाख से भी ज्यादा लोग बधिर (जो बोल या सुन नही सकते) है. या फिर उनकी श्रवण शक्ति बहुत ज्यादा कमजोर है.
इस दिवस का महत्व
यह दिन इस बात को स्वीकार करता है कि सांकेतिक भाषा में सांकेतिक भाषा और सेवाओं तक जल्दी पहुंच जैसे सांकेतिक भाषा में उपलब्ध गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बधिर लोगों के विकास और विकास हेतु महत्वपूर्ण है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए महत्वपूर्ण है.
समान सांकेतिक भाषाओं का उपयोग
यह बोली जाने वाली भाषाओं के समान सांकेतिक भाषाओं के उपयोग को मान्यता देता है और बढ़ावा देता है. इससे सांकेतिक भाषा सीखने में आसानी होती है. इसे साल 2006 में अपनाया गया था. अब तक, इस कन्वेंशन को 177 अनुसमर्थन प्राप्त हुए हैं. इसका मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के साथ भेदभाव को समाप्त करना है.
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