भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और स्पेस रिसर्च से संबंधित स्वदेशी तकनीक विकसित करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं. इसरो के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम निदेशालय ने 18 संभावित प्रौद्योगिकी विकास क्षेत्रों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं. मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम निदेशालय द्वारा 18 अस्थायी प्रौद्योगिकी विकास क्षेत्रों के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं.
इसरो ने 18 क्षेत्रों में प्रस्तावों को दाखिल करने के लिए 15 जुलाई अंतिम तिथि तय की गई है. इन क्षेत्रों में रेडियेशन खतरों का लक्षणीकरण और उन्हें कम करने की तकनीक, अंतरिक्ष भोजन व संबंधित प्रौद्योगिकियां, मानव रोबोटिक इंटरफेस, पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली, लंबी अवधि के मिशनों के लिए मानवीय मनोविज्ञान और कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण प्रौद्योगिकियां शामिल हैं.
मुख्य बिंदु
• इसरो ने एक सस्ती स्वदेशी तकनीक विकसित करने के लिए अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं जो कि गगनयान मिशन की सुविधा प्रदान करेंगे. इसरो का मानना है कि अभी भी मिशन को प्राप्त करने और कार्यक्रम से वैज्ञानिक ज्ञान को चलाने के लिए आगे की क्षमताओं का निर्माण करने की आवश्यकता है.
• इसरो को विश्वास है कि मिशन का परिणाम सभी मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण होगा. इसने कहा कि निष्कर्षों से एक आम आदमी के जीवन की गुणवत्ता और राष्ट्रीय विकास की दिशा में मूल्य जोड़ने में मदद मिलेगी.
• प्रस्ताव का मुख्य रिसर्चर आवश्यक जानकारी दे और तकनीक के इस्तेमाल के बारे में बताए या मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐसे समाधान मुहैया कराए, जो सामर्थ्य और स्वदेशीकरण के संदर्भ में अंतर का पाट सके और अंतरिक्ष ले जाने योग्य पेलोड विकसित करने की क्षमता भी रखता हो.
• इसरो प्रस्तावों की जांच के लिए एक चयन समिति का गठन करेगा। प्रस्तावों को वैज्ञानिक प्रासंगिकता, लाभ, तकनीकी सामग्री और व्यवहार्यता के परिप्रेक्ष्य के आधार पर प्रदर्शित किया जाएगा.
पृष्ठभूमि
भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2022 में लॉन्च किया जाना है. इसके लिए मॉस्को में वायुसेना के चार लड़ाकू विमान पायलटों का प्रशिक्षण चल रहा है और इस मिशन के लिए संभवत: वे ही उम्मीदवार होंगे. इस गगनयान प्रोजेक्ट सफल होने पर इंसान को अंतरिक्ष भेजने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा.
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