भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पहला मानवरहित गगनयान मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है. यह मिशन कोरोना की वजह से एक साल की देरी से चल रही है. इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था.
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि महामारी की पहली और दूसरी लहर की वजह से उपकरणों की आपूर्ति पर असर होने से 'गगनयान' कार्यक्रम 'गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. मिशन के लिए विभिन्न उपकरणों का विनिर्माण विभिन्न उद्योगों द्वारा किया गया है और महामारी के चलते देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार लागू हुए लॉकडाउन की वजह से इनकी आपूर्ति प्रभावित हुई है.
गगनयान कार्यक्रम का मकसद
इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि डिजाइन, विश्लेषण और डॉक्यूमेंटेशन से जुड़े काम को इसरो की तरफ से किए जाते हैं, जबकि गगनयान के लिए उपकरण देश में स्थित सैकड़ों उद्योग बनाए जा रहे हैं और वही सप्लाई भी कर रहे हैं. गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यान के जरिये मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और फिर उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करने का है.
अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने क्या कहा?
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस साल फरवरी में कहा था कि पहला मानवरहित मिशन दिसंबर 2021 में भेजे जाने की योजना है. इसके बाद दूसरा मानवरहित मिशन भेजा जाएगा और फिर मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम दिया जाएगा.
चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री ट्रेनिंग हासिल किए
इस मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस में पहले ही कठिन ट्रेनिंग हासिल कर चुके हैं. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि हमारा ज्यादातर उद्योग (कार्यक्रम के लिए उपकरणों की सप्लाई करने वाला) कोरोना लॉकडाउन की वजह से बंद रहा. इससे बहुत असर पड़ा.
गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा
गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी. शुरू में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले अंजाम दिए जाने की योजना थी.
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