नासा का पेलोड लेकर जाएगा चंद्रयान-2, जाने विस्तार से

May 16, 2019, 13:03 IST

नासा इस मॉड्यूल के जरिए धरती और चांद की दूरी को नापने का कार्य करेगी. इसरो ने चंद्र मिशन के बारे में कहा कि 13 भारतीय पेलोड (ओर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो पेलोड तथा नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा.

Isro Revealed Chandrayaan-2 Will Carry Nasa Payload
Isro Revealed Chandrayaan-2 Will Carry Nasa Payload

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 15 मई 2019 को कहा कि जुलाई में भेजे जाने वाले भारत के दूसरे चंद्र अभियान में 13 पेलोड होंगे और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक उपकरण होगा.

नासा इस मॉड्यूल के जरिए धरती और चांद की दूरी को नापने का कार्य करेगी. इसरो ने चंद्र मिशन के बारे में कहा कि 13 भारतीय पेलोड (ओर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो पेलोड तथा नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा.

अंतरिक्ष यान का वजन:

इस अंतरिक्ष यान का वजन 3.8 टन है. इस यान में तीन मोड्यूल (विशिष्ट हिस्से) ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं.

चंद्रमा पर उतरने की संभावना:

चंद्रयान- 2 को 06 सितंबर 2019 को चंद्रमा पर उतरने की संभावना है. ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर उसका चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर (विक्रम) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आसानी से उतरेगा और रोवर (प्रज्ञान) अपनी जगह पर प्रयोग करेगा.

नोट: चंद्रयान-2 मिशन के सफल होने पर रूस, अमेरिका, चीन और इजरायल के बाद भारत चांद पर अपना यान उतारने वाला पांचवां देश बन जाएगा.

रोवर के बारे में:

रोवर का वजन 20 से 30 किलो के बीच होगा. यह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होगा. रोवर चन्द्रमा की सतह पर पहियों के सहारे चलेगा. यह  मिट्टी और चट्टानों के नमूने एकत्र करेगा तथा उनका रासायनिक विश्लेषण करेगा. रोवर डाटा को ऊपर ऑर्बिटर के पास भेज देगा जहां से इसे पृथ्वी के स्टेशन पर भेज दिया जायेगा.

जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल:

इसरो के अनुसार इस अभियान में जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा. इसरो ने बताया कि रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. वैज्ञानिक प्रयोग के लिए लैंडर और ऑर्बिट पर भी उपकरण लगाए गए हैं.

लैंडर का नाम:

इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर लैंडर का नाम रखा गया है. इसमें चार पेलोड हैं. यह पंद्रह दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा.

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चंद्रयान- 2 के बारे में:

भारत का चंद्रयान -1 के बाद दूसरा चंद्र अन्वेषण अभियान चंद्रयान-2 है. इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है. इस अभियान को जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपण करने की योजना है. इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (रोसकोसमोस) के प्रतिनिधियों ने 12 नवम्बर 2007 को चंद्रयान-2 परियोजना पर साथ काम करने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए.

इस अभियान में भारत में निर्मित एक लूनर ऑर्बिटर (चन्द्र यान) तथा एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल होंगे। इस सब का विकास इसरो द्वारा किया जायेगा. इसरो के मुताबिक यह अभियान विभिन्न नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल तथा परीक्षण के साथ-साथ नए प्रयोग भी करेगा.

चंद्रयान-1 के बारे में:   

22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्र अभियान भारत ने लांच किया था. चंद्रयान-1 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा चंद्रमा की ओर भेजे जाने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान है. यह यान ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान के एक संशोधित संस्करण वाले राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया था.

चंद्रयान को चन्द्रमा तक पहुँचने में पांच दिन लगे और चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लगा. चंद्रयान का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हिलियम की खोज करना था. यह उपग्रह अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भी भेजे.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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