104 उपग्रहों का प्रेक्षपण
5 फरवरी 2017 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीइकल (एकल ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) (पीएसएलवी) के जरिए एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर एक इतिहास रचा। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया है। किसी एकल मिशन के तहत प्रक्षेपित किए गए उपग्रहों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इसरो की इस उपलब्धि पर पूरा वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय आश्चर्य चकित है पीएसएलवी-C37 रॉकेट की पूरी उड़ान में लगभग 29 मिनट का समय लगा।
इससे पहले सर्वाधिक संख्या में एक साथ 37 सैटेलाइट प्रक्षेपित किए गए गए जो एक एकल मिशन के रूप में जून 2014 में रूसी डीएईपीआर राकेट द्वारा प्रक्षेपित किये गए थे।
पीएसएलवी की शुरूआत 1993 में हुई थी, और यह इसका 39वां मिशन था। पीएसएलवी-C37 को इस मिशन के लिए इस्तेमाल किया गया जो अंतरिक्ष में 1,378 किलो का पेलोड प्रक्षेपित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। मिशन में कठिनाई की सबसे बड़ी कामयाबी पीएसएलवी रॉकेट के अंतिम चरण से उपग्रह पेलोड का तुल्यकालिक प्रक्षेपण रहा।
भारतीय उपग्रह
101 विदेशी उपग्रहों के अलावा, पृथ्वी अवलोकन उपग्रह काट्रोसैट-2 सीरीज (वजन 714 किलोग्राम) और उसके दो "तकनीकी प्रदर्शन" नैनो उपग्रह (आईएनएस-1 और 2) हैं। इसरो ने कहा कि आईएनएस-1ए और आईएनएस-1बी इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स से कुल चार पेलोडों से लैस हैं, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रयोगों में किया जाना है।
विदेशी उपग्रह
इस मिशन में लांच किए गए 104 में से 101 सैटेलाइट विदेशी हैं जो पीएसएलवी द्वारा लांच किए गए। उनमें से 96 संयुक्त राज्य अमेरिका के थे। इनमें से 88 सैटेलाइट स्टार्ट अप, जैसे- एक सैन फ्रांसिस्को की एक अर्थ इमेंजिग कंपनी प्लानेट लैब्स के थे। वहीं नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, इजरायल, कजाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात में से प्रत्येक के एक- एक सैटेलाइट थे। इन उपग्रहों को पृथ्वी से करीब 520 किलोमीटर दूर ध्रुवीय सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में प्रविष्ट करवाया गया जिनका अंतरिक्ष में कुल वजन 664 किलोग्राम है।
आज छोड़े गए 8 उपग्रहों के अलावा इनका उपयोग व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए था और निजी कंपनियों से संबंधित थे। इन कंपनियों के बीच कोई भी भारतीय नहीं था। भारतीय कानून में अभी भी निजी तौर पर उपग्रहों के व्यावसायिक अनुप्रयोगों को संचालित करने की अनुमति नहीं है। इस स्थिति के बाद अब मिशन को बदलने की संभावना है।
हाल के दिनों में इसी तरह के प्रयोग
इसरो ने 2008 और 2013 के बीच एक मिशन के रूप में उपग्रहों की सबसे अधिक संख्या में सैटेलाइट लॉन्च किए। इसरो ने पीएसएलवी सी9 के जरिए अप्रैल 2008 में 10 सैटेलाइट लॉन्च किए। इसके बाद नासा द्वारा एक साथ मिनोटौर 1 रॉकेट के जरिए 29 सैटेलाइट लॉन्च किए। इसके बाद इस रिकॉर्ड को रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसोमॉस स्टेट कॉरपोरेशन के डीएनईपीआर राकेट ने नवंबर 2013 और 2014 में तोडा था जिसमें क्रमश: 33 और 37 सैटेलाइट एक साथ छोड़े गए।
इससे पहले, इसरो द्वारा एक मिशन के तहत एक साथ जून 2016 में सबसे ज्यादा 20 सैटेलाइट (उपग्रह) लांच किए गए थे और इसके लिए पीएसएलवी सी 34 इस मिशन का इस्तेमाल किया गया था।
इसके बाद इसरो ने एक बयान जारी कर कहा, "प्रक्षेपण के बाद, कार्टोसेट -2 श्रृंखला के सैटेलाइट की दो सौर सरणियों को स्वचालित रूप से तैनात किया गया और बैंगलूरु में स्थित इसरो का टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) ने सैटेलाइट को अपने नियंत्रण में ले लिया है"। इन सैटेलाइट (उपग्रहों) के जरिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, सड़क नेटवर्क, जल वितरण, तटीय भूमि के उपयोग के विनियमन और अन्य कई अन्य प्रयोजनों के प्रबंधन के मानचित्रण के लिए उपयोगी सूचनाएं उपलब्ध होंगी।
इसरो के दो नैनो -सैटेलाइट्स (आईएनएस-1 और 2) में अपने तथा लेबोरट्री फॉर इलेक्ट्रो- ऑप्टिक्स सिस्टम्स (एलईओएस) और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (सैक) की लिए प्रयोगशाला के दो उपकरण हैं। इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण के साथ ही पीएसएलवी ने अंतरिक्ष में 226 उपग्रह छोड़ दिए हैं जिनमें 46 देसी और 180 विदेशी उपग्रह शामिल हैं।
इस लॉन्च का प्रभाव
इस ऐतिहासिक रिकॉर्डतोड़ सैटेलाइट लॉन्च के प्रभाव से भारत में सैटेलाइट सेवाओं के उपयोग और तेजी से आगे बढ़ेगा और यह उदारवादी होगा। अब तक भारत में कोई ऐसा लचीला कानून नहीं है जो निजी उपग्रहों की सेवाओं को प्रक्षेपित करने की अनुमति देता है। इस प्रक्षेपण के बाद भारत सरकार, भारत के पहले निजी उपग्रह के आवेदन पर विचार करने के लिए तैयार है।
ह्यूजेस का नेटवर्क करीब 6 वर्ष पुराना है और वह आवेदन कर एक संचार उपग्रह को लॉन्च करेगा तथा भारत में ब्रॉडबैंड डेटा सेवाएं प्रदान करेगा। ह्यूजेस नेटवर्क ने दावा किया है कि वह ब्रॉडबैंड नेटवर्क की दुनिया का सबसे बड़ा प्रदाता है। यह पहले से ही भारत और ब्राजील सहित कई अन्य बाजारों में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान कर रहा है।
एक सरकारी अधिकारी ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत की तरफ से निजी उपग्रहों का उपयोग को शुरू करने के मुद्दे पर "सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है" लेकिन यह तब तक लागू नहीं किया जा सकता है जब तक इसके लिए नीति में बदलाव नहीं किया जाता।
सरकार द्वारा लागू किए गए नोटबंदी के निर्णिय और इसके बाद डिजीटलीकरण के तरफ बढ़ते कदमों से इस तरह की सेवाओं के लिए प्राइवेट सैटेलाइट को बढ़ावा मिल सकता है। उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं का नेटवर्क भारत में उपलब्ध केबल नेटवर्क की तुलना मंस अधिक विश्वसनीय और कई गुना तेज हो सकता है।
लाइन और इंटरनेट सेवाओं के लिए ह्यूजेस ही एकमात्र कंपनी नहीं है जो प्राइवेट उपग्रहों के माध्यम सेवाओं की पेशकश कर सकती है। उदाहरण के लिए, टीम इंडस, एक बेंगलुरु स्थित कॉरपोरेशन है जिसने चार अन्य टीमें चंद्रयान के एक मिशन पर भेजे हैं और इस प्रतियोगिता के लिए गूगल का एक्सप्राइज जीता है। यह भविष्य में विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के माध्यम से अपने स्वयं के उपग्रहों को भेजने की योजना बना रहा है।
सैटेलाइट के निर्माण के लिए इसरो खुद निजी कंपनियों की अधिक से अधिक भागीदारी चाहता है ताकि वह अंतरिक्ष अनुसंधान के अपने मूल क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित कर सकें l
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