भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 16 सितंबर 2018 को श्रीहरिकोटा से अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान - पी.एस.एल.वी- सी42 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया.
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के प्रथम प्रक्षेपण स्थल से इसरो ने इसके जरिए दो विदेशी सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में पहुंचाया. इसमें नोवासार और एस 1-4 शामिल हैं. दोनों उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी-सी42 अंतरिक्ष यान रात 10:08 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांचपैड से रवाना हुआ. पीएसएलवी ने उपग्रहों को प्रक्षेपण के 17 मिनट 45 सेकंड बाद कक्षा में स्थापित कर दिया.
स्मरणीय तथ्य
• इन उपग्रहों का वजन 800 किलोग्राम है.
• यह दोनों उपग्रह ब्रिटेन की सर्रे सेटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के हैं.
• यह इस वर्ष का पहला व्यवसायिक मिशन है. एंटरिक्स कॉरपोरेशन व्यवसायिक स्तर पर 280 से अधिक विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में भेज चुका है.
• पीएसएलवी इसरो का एक मात्र ऐसा विश्वसनीय यान है जो 12वीं बार छोड़ा गया. पीएसएलवी-सी42 के सफल प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है.
• इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में शामिल हो गया, जिसके पास विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने या भेजने की अपनी तकनीक और क्षमता मौजूद है.
ब्रिटिश उपग्रहों के बारे में जानकारी |
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इसरो की पिछली प्रमुख उपलब्धियां
• इसरो (ISRO) ने पहली बार व्या वसायिक उद्देश्यत के लिए राकेट लॉन्च किया था.
• पीएसएलवी सी-ए ने इटली के खगोलीय उपग्रह एजाइल (AGILE) को प्रक्षेपित किया था.
• इसके बाद 10 जुलाई 2015 को इसरो ने एक और उपलब्धि हासिल की जब उसने पीएसएलवी-28 से पांच ब्रिट्रिश उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित किया, जिसका कुल वजन एक हजार 439 किलोग्राम था.
• इसरो अब तक 28 देशों के 237 विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपण कर चुका है.
एन्ट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड
एन्ट्रिक्स कोर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में अंतिरक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और इसरो की ओर से विकसित वाणिज्यिक एवं औद्योगिक संभावनाओं और प्रचार-प्रसार के लिए सरकार के स्वामित्व वाली एक प्राइवेट कंपनी लिमिटड के रूप में स्थापित किया गया था. इसका एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष से जुड़ी औद्योगिक क्षमताओं के विकास को आगे बढ़ाना भी है.
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