एक जेनेटिक अध्ययन में यह पुष्टि की गयी कि भारत के पश्चिमी भाग में रहने वाले बेने इज़राइल समुदाय के लोग वास्तव में यहूदी सभ्यता के वंशज थे.
तेल अवीव यूनिवर्सिटी, कोर्नेल यूनिवर्सिटी एवं अल्बर्ट आइन्स्टाइन कॉलेज ऑफ़ मेडिसिन द्वारा किये गए अध्ययन के द्वारा किये गए अध्ययन की रिपोर्ट 10 मई 2016 को अमेरिकन फ्रेंड्स ऑफ़ तेल अवीव यूनिवर्सिटी पत्रिका में प्रकाशित की गयी.
डीएनए के इस अध्ययन में वैज्ञानिकों द्वारा जेनेटिक साक्ष्य प्रस्तुत किये गये. उनके द्वारा प्रस्तुत इन साक्ष्यों के आधार पर किये गये अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि यहूदियों की वास्तविक जड़ें बेने इज़राइली समुदाय में निवास करती हैं.
वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक जेनेटिक टूल्स का प्रयोग करते हुए जीनोम का विश्लेषण किया एवं बेने इज़राइल समुदाय के लोगों पर अध्ययन किया.
अध्ययन के मुख्य बिंदु
• वैज्ञानिकों ने पाया कि बेने इज़राइल समुदाय के लोग जेनेटिक रूप से काफी हद तक भारतीयों से मेल खाते हैं लेकिन वे भारतीय जनसँख्या से काफी भिन्न हैं.
• अध्ययन में यह पाया गया कि यह समुदाय भारतीय एवं यहूदी समुदाय का मिश्रण है.
• इस समुदाय का पैतृक आबादी में आनुवंशिक योगदान पर्याप्त लगभग 19-33 पीढ़ियों (लगभग 650-1050 साल) पहले हुआ था.
• शोधकर्ताओं का मानना है कि सबसे पहले मध्य-पूर्व की जनजातीय विवाह मामलों में दोनों समुदायों को एक साथ पाया गया.
• इस अध्ययन द्वारा यह भी स्पष्ट हुआ कि जेनेटिक अध्ययन से हम अपने पूर्वजों एवं मानवीय सभ्यता के बारे में मूल्यवान जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
पृष्ठभूमि
मौखिक इतिहास के अनुसार, बेने इज़राइल समुदाय के लोग कोंकण तट पर एक जहाज़ की तबाही के बाद जीवित बचे 14 यहूदी लोगों के संपर्क में आये.
इस घटना का वास्तविक समय एवं घटना का पूर्ण ब्योरा ज्ञात नहीं है. एक अनुमान के अनुसार इसे लगभग 2000 वर्ष पूर्व माना जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि यह 175 ईसा पूर्व की घटना है.
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