जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) ने एक छोटा अणु विकसित किया है जो तंत्र को बाधित करता है जिसके माध्यम से अल्जाइमर रोग (AD) में न्यूरॉन्स बदहज़मी हो जाते हैं. यह अणु दुनिया भर में डिमेंशिया (70-80%) के प्रमुख कारण को रोकने या ठीक करने के लिए एक संभावित दवा उम्मीदवार हो सकता है.
अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में, प्राकृतिक रूप से बनने वाले प्रोटीन के पिंड असामान्य स्तर तक जमा होकर फलक तैयार करते हैं जो न्यूरॉन्स के बीच जमा हो जाता है और कोशिका के कार्य को बाधित करता है.
मुख्य बिंदु
• ऐमिलॉयड पेप्टाइड (एबीटा) के निर्माण औरजमा होने के कारण होता है, जो केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली में एकत्र हो जाता है.
• बहुआयामी एमिलॉयड विषाक्तता के चलते अल्जाइमर बीमारी (एडी) की बहुक्रियाशील प्रकृति ने शोधकर्ताओं को इसके प्रभावी उपचार के विकास से रोका हुआ है.
• विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) में प्रोफेसर टी. गोविंदराजू की अगुआई में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नए छोटे अणुओं के समूह को तैयार और संश्लेषित किया है तथा एक प्रमुख उम्मीदवारके रूप में पहचान की है, जो एमिलॉयड बीटा (एबीटा) की विषाक्तता कम कर सकता है.
• विस्तृत अध्ययनों ने टीजीआर63 नाम का यह अणुन्यूरोनल कोशिकाओं को एमिलॉयड विषाक्तता से बचाने के लिए एक प्रमुख उम्मीदवारसिद्ध किया है.
• यह अणु कोर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस, या टेम्पोरल लोब में गहराई में मौजूद जटिल हिस्से पर एमीलॉयड के बोझ को घटाने और संज्ञानता में कमी की स्थिति पलटने में भी कारगर पाया गया था. यह शोध हाल में एडवांस्ड थेरेप्युटिक्स में प्रकाशित हुआ है.
शोध का परिणाम
अल्जाइमर की बीमारी से प्रभावित चूहों के मस्तिष्क का जब टीजीआर63 से उपचार किया गया तो एमिलॉयड जमाव में खासी कमी देखने को मिली, जिससे इससे उपचार संबंधी प्रभाव की पुष्टि हुई है. अलग व्यवहार से जुड़े परीक्षण में चूहों में सीखने का अभाव, स्मृति हानि और अनुभूति घटने की स्थिति में कमी आने का पता चला है. इन प्रमुख विशेषताओं से एडी के उपचार के लिए एक भरोसेमंद दवा के उम्मीदवार के रूप में टीजीआर63 की क्षमताएं प्रमाणित हुई हैं.
अल्जाइमर उपचार
वर्तमान में उपलब्ध उपचार सिर्फ अस्थायी राहत उपलब्ध कराता है. इसकी ऐसी कोई स्वीकृत दवा नहीं है जो सीधे अल्जाइमर्स बीमारी के रोग तंत्र के उपचार में काम आती हो. इस प्रकार, अल्जाइमर्स बीमारी को रोकने या उपचार के लिए एक दवा का विकास बेहद जरूरी है. इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है.
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