सुप्रीम कोर्ट ने नकली जाति प्रमाण द्वारा नौकरी पाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 06 जुलाई 2017 को जारी आदेश के अनुसार यदि कोई व्यक्ति फर्जी प्रमाण के साथ पकड़ा जाता है तो उसे डिग्री और नौकरी दोनों से हाथ धोना पड़ेगा.
इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले लोग सजा के हकदार भी होंगे. कोर्ट के अनुसार यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से नौकरी कर रहा है और दोषी पाया जाता है तो भी उसे नौकरी गवानी पड़ेगी. कोर्ट ने कहा कि यदि व्यक्ति को नौकरी में 20 वर्ष हो चुके हैं और उसका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है तो भी वो नौकरी खोएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
इससे पहले पिछले महीने केंद्र ने कहा था कि जो भी इस तरीके से नौकरी पा चुके हैं उनके जाति प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे. इसके बाद कोर्ट ने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों को जाति प्रमाण पत्र हासिल करके नौकरियां पाने वाले लोगों की जांच करने के निर्देश जारी किए.
स्टेट ऑफ पर्सनल के मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को इस संदर्भ में जानकारी दी थी. उन्होंने मार्च में बताया कि करीब 1832 ऐसे मामले हैं जिनमें फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए लोगों ने नौकरियां हासिल की हैं. इसमें 276 को संस्पेंड और निष्काषित किया जा चुका है और 521 कार्रवाई का सामना कर रहे हैं, जबकि 1035 मामले कानूनी प्रक्रिया के लिए पेंडिंग हैं.
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