केरल राज्य सरकार ने अपनी पूर्व अनुमति के बिना विभिन्न मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को राज्य सरकारों द्वारा प्रदत्त सामान्य सहमति वापस ले ली है. केरल महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद, अब विभिन्न मामलों की जांच करने के लिए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को दी गई सहमति वापस लेने वाला ऐसा पांचवा राज्य बन गया है.
यह फैसला मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 4 नवंबर, 2020 को एक कैबिनेट बैठक के दौरान लिया था. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब CBI एलडीएफ सरकार की महत्वाकांक्षी जीवन मिशन परियोजना में विभिन्न कथित अनियमितताओं की जांच कर रही थी. यह परियोजना गरीबों को आवास मुहैया करवाने के लिए एक सरकारी पहल थी.
छूट
इन सभी राज्यों में, केंद्रीय जांच ब्यूरो को केवल राज्य सरकार की विशेष अनुमति के साथ, बहुत जरुरी स्थितियों में विभिन्न मामलों की जांच सौंपी जाएगी.
क्या इससे केंद्र-राज्य के संबंध तनावपूर्ण हो जायेंगे?
इस फैसले से केंद्र के साथ राज्य सरकार के रिश्तों में तनाव और अधिक बढ़ने की संभावना है. अन्य गैर-BJP शासित राज्यों ने भी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए CBI से अपनी सहमति वापस ले ली है.
राज्य सरकार के अनुसार, कानून स्पष्ट रूप से यह कहता है कि, कानून एवं व्यवस्था के साथ ही विभिन्न किस्म के अपराधों की जांच राज्य के विषय हैं और CBI केवल राज्य प्रशासन की अनुमति से ही संबद्ध राज्य के स्थानीय मामलों या आरोप-पत्र दर्ज संदिग्धों के मामलों की जांच कर सकती है.
झारखंड ने भी विभिन्न मामलों की जांच के लिए CBI को दी गई अपनी सहमति को लिया वापस
झारखंड ने भी अपने राज्य में विभिन किस्म के मामलों की जांच के लिए CBI को दी गई सामान्य सहमति को वापस लेने का फैसला लिया है और वह ऐसा करने वाला देश का 7 वां राज्य बन गया है. केरल के निर्णय के एक दिन बाद ही इस राज्य ने 5 नवंबर को CBI के संबंध में अपने इस निर्णय की घोषणा की.
पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम, महाराष्ट्र और केरल के बाद अब, झारखंड ऐसा करने वाला सातवां राज्य बन गया है. हालांकि, राज्य में CBI के प्रवेश पर प्रतिबंध ऎसी किसी भी जांच पर लागू नहीं होता है, जो पहले से चल रही है.
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