हाल में आए 2011 की जनगणना के भाषा संबंधी आंकड़े के अनुसार हिंदी भारत की सबसे तेजी से बढ़ने वाली भाषा है. वर्ष 2001 से वर्ष 2011 के बीच के दस सालों में हिंदी बोलने वाले लोगों संख्या में करीब 10 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई है. आंक़ड़ों के मुताबिक हिंदी की वृद्धि दर 25.19 फीसदी रही.
जनगणना रिपोर्ट:
- 2011 के जनगणना के आधार पर भारतीयों भाषाओं के आंकड़े के अनुसार 43.63 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा हिंदी है. 2001 के जनगणना के मुकाबले हिंदी को अपनी मातृभाषा बताने वालों की संख्या बढ़ी है.
- ताजा आंकड़ो के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा करीब 52 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं. इसके बाद 9.7 करोड़ लोग बंगाली. दो लाख साठ हजार लोगों ने अंग्रेजी को अपनी मातृभाषा बताया है.
- बीते 10 साल में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या में 14.67 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. अंग्रेजी को अपनी मातृभाषा मानने वाले लोग सबसे ज्यादा लोग महाराष्ट्र में हैं.
- इसके बाद अंग्रेजी को अपनी पहली भाषा मानने वाले लोग सबसे ज्यादा तमिलनाडु और कर्नाटक में हैं. तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुआ है. इन दोनों राज्यों में हिंदी, असमिया और उड़िया बोलने वाले लोगों की संख्या में 33 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है.
- तमिलनाडु और केरल में हिंदी बोलने वालों की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं, उत्तर भारत के राज्यों में तमिल और मलयालम बोलने वालों की संख्या तेजी से घट रही है. इन आंकड़ो से साफ है कि दक्षिण भारत से उत्तर भारत आने वालों की संख्या लगातार घट रही है.
- मुंबई में कन्नड़ और तेलगु को अपनी मातृभाषा मानने वालों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है. सत्तर और अस्सी के दशक में मुंबई दक्षिण भारत के लोगों का पसंदीदा शहर हुआ करता था, लेकिन अब दक्षिण के राज्यों में मुंबई का आकर्षण कम हुआ है.
संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली अनुसूचित भाषा:
देश में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है. भारत की इस सबसे पुरानी भाषा को केवल 24,821 लोगों ने अपनी मातृभाषा बताया है. इसे बोलने वाले लोगों की संख्या बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषा से भी कम है.
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा अंग्रेजीभाषी:
अंग्रेजी भारत समेत दुनियाभर में कामकाज की मुख्य भाषा मानी जाती है. 2011 की जनगणना में अंग्रेजी को करीब 2.6 लाख लोगों ने मातृभाषा बताया. गौरतलब है कि इनमें सबसे ज्यादा 1.06 लाख लोग अकेले महाराष्ट्र से हैं. इस मामले में तमिलनाडु दूसरे और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है.
राजस्थान की भिली सूचीबद्ध भाषाओं से भी आगे:
राजस्थान में बोली जाने वाली भिली/भिलौड़ी भाषा 1.04 करोड़ की संख्या के साथ गैर-सूचीबद्ध भाषाओं में पहले नंबर पर है. जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाली गोंडी भाषा बोलने वालों की संख्या 29 लाख है.
शीर्ष पांच भाषाएं:
भाषा | मातृभाषा (फीसदी) |
हिंदी | 43.63 फीसदी |
बांग्ला | 8.30 फीसदी |
मराठी | 7.09 फीसदी |
तेलुगू | 6.93 फीसदी |
गुजराती | 4.74 फीसदी |
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