लोकसभा द्वारा 23 जुलाई 2018 को 'राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद (संशोधन) विधेयक-2017' को पारित कर दिया गया. इससे बीएड, डीएड, एमएड तथा कई अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर चुके उन विद्यार्थियों को राहत मिलेगी जिनके संस्थान के पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त नहीं थी.
संशोधन विधेयक के तहत 20 केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है. सदन में इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया.
शिक्षण प्रशिक्षण परिषद (संशोधन) विधेयक, 2017
• इस विधेयक में प्रस्तावित है कि राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद (एनसीटीई) की मान्यता के बिना शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने वाले केन्द्र /राज्य /संघ शासित क्षेत्र के वित्त पोषित संस्थानों/विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र 2017-2018 तक पूर्व प्रभाव से मान्यता प्रदान की जाएगी.
• इसमें प्रावधान किया गया है कि इन संस्थाओं/विश्वाविद्यालयों में पढ़ रहे अथवा यहां से पहले ही उत्तीर्ण हो चुके छात्र शिक्षक के रूप में रोजगार पाने के पात्र हो सकेंगे.
• यह पूर्व प्रभाव मान्यता इसलिए दी जा रही है ताकि इन संस्था़नों से उत्तीर्ण हुए या पंजीकृत छात्रों के भविष्य को खतरा न हो.
संस्थानों के लिए प्रावधान
• बी.एड तथा बुनियादी शिक्षा में डिप्लोमा जैसे शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने वाले सभी संस्थानों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 14 के अन्तर्गत राष्ट्री्य शिक्षक प्रशिक्षण परिषद से मान्यता लेनी होगी.
• मान्यता प्राप्त संस्थानों/ विविद्यालयों को एनसीटीई अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत पाठ्यक्रमों की अनुमति प्राप्त करनी होगी.
• शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की शुरूआत करने के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त करने का अनिवार्य कानूनी प्रावधान है.
• शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को मान्यता देने के लिए इस अधिनियम में पृथक से प्रावधान किए गए हैं और मान्यता प्राप्त संस्थानों/विश्वविद्यालयों द्वारा अनुपालनार्थ दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए है.
उद्देश्य
एनसीटीई अधिनियम 1 जुलाई, 1995 को प्रभाव में आया था और जम्मू व कश्मीर राज्य को छोड़कर यह देशभर में लागू है. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली का समन्वित विकास, प्रणाली, विनियमन की प्राप्ति का लक्ष्य व मानकों का समुचित अनुरक्षण सुनिश्चित करना है.
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