लोकसभा ने लेखानुदान माँगों तथा विनियोग विधेयक को पारित किया

लोकसभा ने भारत की संचित निधि से 2018-19 के अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए वर्ष की अनुपूरक अनुदान मांगों और तत्संबंधी विनियोग विधेयक को भी मंजूरी दे दी.

Feb 12, 2019, 09:47 IST
Lok Sabha passes Interim Budget
Lok Sabha passes Interim Budget

लोकसभा ने वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीने के लिए लेखानुदान माँगों तथा उनसे जुड़े विनियोग विधेयक को 11 फरवरी 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा ने इसे कांग्रेस तथा वाम दलों के बहिर्गमन के बीच पारित किया.

सदन ने वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी अनुपूरक अनुदान माँगों एवं उनसे जुड़े विनियोग विधेयक को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. हालाँकि, वित्त विधेयक 2019 को अगले दिन चर्चा एवं पारित कराने के लिए रखा जायेगा.

लोकसभा की लेखानुदान मांगों को मंजूरी


•    सदन ने भारत की संचित निधि से 2018-19 के अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए वर्ष की अनुपूरक अनुदान मांगों और तत्संबंधी विनियोग विधेयक को भी मंजूरी दे दी.

•    सदन में बोलते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2019-20  के अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा की है.

•    उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत छोटे किसानों को सालभर में 6000 रुपये का आय समर्थन दिया जायेगा.

•    यह राशि 2000 रुपये की तीन किस्तों में दी जायेगी.

•    एक अन्य महत्वपूर्ण योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर 3,000 रुपये मासिक पेंशन देने की घोषित की गयी है. यह योजना 15 फरवरी से शुरू होने जा रही है.

•    इन सभी मांगों पर लोकसभा ने ध्वनिमत से अपनी मंजूरी प्रदान की तथा अंतरिम बजट पारित किया.

•    इससे पूर्व वित्त मंत्री पीयूष गोयल अंतरिम बजट पर करीब सात घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुये विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि सरकार ने एक तरह से पूर्ण बजट पेश कर परंपराओं का उल्लंघन किया है और बजट चुनाव को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.

•    उन्होंने इन आरोपों को भी गलत बताया कि सरकार वित्तीय अनुशासन बनाये रखने में विफल रही है.

अंतरिम बजट और लेखानुदान में अंतर

•    लेखानुदान के तहत सरकार कोई नीतिगत फ़ैसला नहीं करती है. इसके तहत कर दरों में बदलाव या नई योजनाओं की घोषणा नहीं की जाती है.

•    इसके पीछे सैद्धांतिक तर्क यह है कि जब सरकार का कार्यकाल ख़त्म हो रहा हो तो वो अगले पूरे साल के लिए घोषणाएँ नहीं कर सकती क्योंकि चुनाव बाद किसी और दल या गठबंधन की सरकार बन सकती है.

•    इसलिए मौजूदा सरकार अगली सरकार पर अपने वित्तीय फ़ैसले और बजट को नहीं थोप सकती. यह बाध्यकारी परंपरा नही है अपितु एक स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा है.

•    आम तौर पर ऐसी स्थितियों में सरकार लेखानुदान पारित कराती है. लेखानुदान राजस्व और खर्चों का लेखाजोखा मात्र होता है. इसमें तीन या चार महीनों के लिए सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन और अन्य सरकारी कार्यों के लिए राजकोष से धन लेने का प्रस्ताव होता है.

•    ऐसा इसलिए होता है ताकि संविधान के मुताबिक राजकोष से धन निकालने के लिए संसद की मंज़ूरी आवश्यक है.

•    भारत के इतिहास में पहला अंतरिम बजट मोरारजी देसाई ने वर्ष 1962-63 में पेश किया था. वर्ष 1991-92 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार जाने के बाद यशवंत सिन्हा ने अंतरिम बजट पेश किया.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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