मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 14 नवम्बर 2017 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में नवीन रेत खनन नीति 2017 को मध्य प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया. इस निर्णय के बाद प्रदेश में वर्तमान में सभी असंचालित रेत खदानें ग्राम पंचायतों या नगरीय निकायों के नियंत्रण में होंगी. कोई भी व्यक्ति इन रेत खदानों से 125 रुपए प्रति घनमीटर की दर से भुगतान करने के बाद रेत खनिज प्राप्त कर सकेगा.
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ग्राम पंचायतों या स्थानीय निकायों द्वारा इन खदानों का संचालन किया जाएगा. खदानों का कोई ठेका नहीं दिया जाएगा. इन खनिजों से प्राप्त रॉयल्टी में से 50 प्रतिशत राशि ग्राम पंचायत या स्थानीय निकाय को प्राप्त होगी. इसका उपयोग पंचायतों या स्थानीय निकायों द्वारा खदान संचालन के व्यय तथा राज्य शासन द्वारा दिये गये निर्देशानुसार किया जा सकेगा. शेष 50 प्रतिशत राशि जिला खनिज प्रतिष्ठान को दी जाएगी. इसका उपयोग सड़क निर्माण एवं नदी संरक्षण में किया जाएगा.
मुख्य तथ्य:
• नई नीति के तहत प्रदेश की 1266 रेत खदानों में से 821 रेत खदानों का संचालन ग्राम पंचायतों और स्थानीय निकायों को सौंपा जायेगा. शेष 445 खदानें नीलामी के जरिये पहले ही आवंटित की जा चुकी हैं.
• सरकार ने रेत परिवहन के लिए अभिवहन प्रपत्र जारी करने की व्यवस्था समाप्त करने का निर्णय लिया है. रेत खनिज परिवहन करने वाले वाहनों की अनावश्यक चौकिंग नहीं की जाएगी.
• रेत खनिज प्राप्त करने के लिए राशि का भुगतान ऑन लाइन होगा.
• राशि जमा होने पर रेत उठाने के लिए उपभोक्ता को ऑन लाइन इंडेंड जारी होगा. इसके आधार पर उपभोक्ता चार घंटे की समयावधि में संबंधित खदान से रेत उठा सकेगा. इससे व्यक्तियों का अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं रहेगा.
• रेत परिवहन करने के लिए वाहनों का चयन स्वयं उपभोक्ता कर सकेगा. वाहन क्रमांक की ऑन लाइन सूचना दर्ज करायी जाना होगी ताकि गंतव्य तक रेत पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित हो सके.
• ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिए पंजीकृत वाहनों को रेत परिवहन करने के लिए छूट देने का निर्णय लिया गया है.
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