वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में जारी जानकारी के अनुसार चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अपनी जगह से खिसक रहा है. चुंबकीय उत्तरी ध्रुव हर साल लगभग 55 किलोमीटर खिसक रहा है. वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्ष 2017 में इंटरनैशनल डेट लाइन (आईडीएल) को पार कर लिया था.
इसका महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि चुंबकीय उत्तरी ध्रुव की सहायता से कंपास पर दिशा देखी जाती है लेकिन चुंबकीय ध्रुव के खिसकने के कारण अब समुद्री यात्रा के दौरान एवं हवाई यात्रा के दौरान दिशा का पता लगाना मुश्किल हो रहा है. पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव पिछले कुछ दशकों में इतनी तेजी से खिसक रहा है कि वैज्ञानिकों के पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे. वैज्ञानिकों ने 04 फरवरी 2019 को एक अपडेट जारी किया जिसमें बताया गया है कि सटीक चुंबकीय उत्तरी ध्रुव असल में कहां है.
क्यों हो रहा है परिवर्तन? |
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चुंबकीय उत्तरी ध्रुव से हो रहे दिशा परिवर्तन को ऐसे समझा जा सकता है.
चुंबकीय उत्तरी ध्रुव में परिवर्तन और इसके प्रभाव
• चुंबकीय उत्तरी ध्रुव प्रत्येक वर्ष लगभग 55 किलोमीटर खिसक रहा है.
• वैज्ञानिकों ने कहा कि भौगोलिक उत्तरी ध्रुव की तुलना में चुंबकीय नॉर्थ पोल 4 डिग्री दक्षिण की ओर खिसक गया है.
• इसने 2017 में इंटरनैशनल डेट लाइन (आईडीएल) को पार कर लिया था और यह साइबेरिया की तरफ बढ़ते हुए फिलहाल कनाडाई आर्कटिक से आगे बढ़ रहा है.
• कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिकीविद और नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नोड चुलियट ने बताया कि लगातार बदल रहे इसके स्थान की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स के कंपासेज में समस्या आ रही है.
• विमान एवं नौकाएं भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र पर निर्भर रहती हैं खासकर शिपिंग में अतिरिक्त मदद के लिए वह इस पर निर्भर रहती हैं.
• सेना नौवहन और पैराशूट उतारने के लिए इस बात पर निर्भर रहती है कि चुंबकीय उत्तर ध्रुव कहां है जबकि नासा, संघीय विमानन प्रशासन एवं अमेरिकी वन सेवा भी इसका इस्तेमाल करती है.
• हवाईअड्डे के रनवे के नाम भी चुंबकीय उत्तरी धुव्र की तरफ उनकी दिशा पर आधारित होते हैं और ध्रुवों के घूमने पर उनके नाम भी बदल जाते हैं.
• इसके विपरीत चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव उत्तर के मुकाबले बहुत धीमी गति से खिसक रहा है.
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