कुपोषित बच्चों का अनुपात सालाना 2 प्रतिशत की दर से घटा: रिपोर्ट

Mar 18, 2019, 14:39 IST

यूनिसेफ एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक, वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 के दौरान कुपोषण चार प्रतिशत कम हुआ है.

Malnutrition reduces the proportion of weaker children at annual rate of 2%
Malnutrition reduces the proportion of weaker children at annual rate of 2%

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार देश में कुपोषण के वजह से कमजोर बच्चों का अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में करीब दो प्रतिशत कम होकर 34.70 प्रतिशत पर आ गया.

इससे पहले दस वर्ष में कुपोषण में सालाना एक प्रतिशत की दर से कमी दर्ज की गयी थी. एक स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक सरकारी मुहिम के कारण कुपोषण से बच्चों के शारीरिक विकास में रुकावट से यह कमी आई है.

कुपोषण प्रभावित बच्चों के अनुपात:

यूनिसेफ एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक, वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 के दौरान कुपोषण चार प्रतिशत कम हुआ है. वर्ष 2004-05 से वर्ष 2015-16 की दस वर्ष की अवधि के दौरान छह साल के कुपोषण प्रभावित ऐसे बच्चों के अनुपात में सालाना एक प्रतिशत की दर से 10 प्रतिशत की कमी आयी थी.

खून की कमी की रैंकिंग में भी सुधार:

सर्वेक्षण के अंतर्गत महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) जैसे अन्य मुख्य स्वास्थ्य सूचकांकों पर भी सुधार देखने को मिला है. रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में खून की कमी 2015-16 के 50- 60 प्रतिशत से कम होकर 2017- 18 में 40 प्रतिशत पर आ गयी है.

एक तिहाई बच्चे भारत में:

रिपोर्ट 2018 के अनुसार दुनिया में कुपोषण के कारण कमजोर शरीर वाले एक तिहाई बच्चे भारत में हैं. भारत में ऐसे बच्चों की संख्या 4.66 करोड़ है. इसके बाद नाइजीरिया (13.9%) और पाकिस्तान (10.7%) का नाम आता है.

कुपोषण:

शरीर को आवश्यक सन्तुलित आहार बहुत समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है. कुपोषण के वजह से बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं. कुपोषण मुख्यतः पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है. बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है. महिलाओं में घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण:

यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वाधान में किया जाने वाला एक मुख्य सर्वेक्षण हैं. इसके अंतर्गत परिवार और स्वास्थ्य के बारे में घरों और व्यक्तियों से जानकारी एकत्र की जाती है, जो सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद प्रदान करता हैं. यह भारत में विस्तृत स्वास्थ्य आकड़ों का मुख्य स्रोत है. पहला राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 1992-93 में हुआ था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की थी. इसका मुख्य लक्ष्य कुपोषण को वर्ष 2015-16 के 38.4 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2022 में 25 प्रतिशत पर लाना है.

 

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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