असम के तिनसुकिया जिले में स्थित बागजान तेल कुआं में 09 जून 2020 को भीषण आग लग गई. कुएं से पिछले 14 दिन से अनियंत्रित तरीके से गैस का रिसाव हो रहा था. ऑयल इंडिया लिमिटेड के तेल कुएं में लगी आग इतनी भीषण है कि उसकी लपटें 30 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर से देखी जा सकती हैं.
असम के पर्यावरण एवं वन मंत्री परिमल सुखाबैद्य ने कहा कि असम सरकार आग पर काबू पाने की पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन आग अब तेजी से गांवों में फैल रही है, जिससे गांवों के लगभग 6 लोग घायल हो गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, असम के तिनसुकिया जिले में स्थित बागजान तेल के कुएं से पिछले 14 दिन से अनियंत्रित तरीके से गैस का रिसाव हो रहा था.
राज्य सरकार ने केंद्र से मांगी मदद
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने घटना के संबंध में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से फोन पर बात कर आग को बुझाने में तत्काल मदद मांगी है. कुएं में आग उस समय लगी जब वहां सफाई अभियान चल रहा था. केंद्र सरकार ने सोनोवाल को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है. असम सरकार को कहा गया है कि जरुरत पड़ने पर वायुसेना भी मदद के लिए तैयार है.
सिंगापुर से विशेषज्ञ आये
हाल ही में असम के तिनसुकिया ज़िले में ‘ऑयल इंडिया लिमिटेड’ के बागजान गैस कुएँ में तेल रिसाव के बाद गैस रिसाव को रोकने के लिये सिंगापुर की एक फर्म को बुलाया गया. बयान में कहा गया है कि कुएं से हो रहे गैस के रिसाव को रोकने में 08 जून 2020 से ही जुटे सिंगापुर के तीन विशेषज्ञों को विश्वास है कि हालात पर काबू पाया जा सकता है और कुएं को सुरक्षित बचाया जा सकता है. बयान के मुताबिक, इस पूरे अभियान में चार सप्ताह का समय लगने की संभावना है लेकिन विशेषज्ञों की टीम इसे कम करने में जुटी है.
गैस रिसाव के नियंत्रण में समस्या
गैस रिसाव को नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि गैस रिसाव का दबाव बहुत अधिक होता है. दूसरा गैस भंडार में नियंत्रण कार्य के दौरान किसी भी वक्त आग लगने की संभावना रहती है. इस प्रकार के गैस रिसाव में स्वत: दबाव कम होने में कई महीनों का समय लगता है अत: गैस के कुओं में पानी को पंप करना एक कारगर तरीका हो सकता है ताकि गैस में आग न लगे.
गैस रिसाव का प्रभाव
असम से लगभग 2,500 से 3,000 लोगों की निकासी करके राहत शिविरों में भेजा गया है. गैस रिसाव से ‘नदी डॉल्फिन’ तथा अनेक प्रकार की मछलियों की मृत्यु हो गई. स्थानीय लोगों ने आँखों में जलन, सिरदर्द आदि जैसे लक्षणों की शिकायत की है.
असम के तेल उत्पादन क्षेत्र
असम में साल 1956 तक डिगबोई एकमात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था. असम में डिगबोई, नहरकटिया तथा मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं. तमिलनाडु का पूर्वी तट, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र में अन्य महत्त्वपूर्ण पेट्रोलियम भंडार पाए जाते हैं.
30 हजार रुपए की आर्थिक मदद
प्राकृतिक गैस के कुएं के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में जो भी लोग हैं उन्हें सुरक्षित स्थान पहुंचा दिया गया है. ऑयल इंडिया लिमिटेड की तरफ से इससे प्रभावित हर परिवार को 30 हजार रुपए की आर्थिक मदद की घोषणा की गई है.
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