आरडीईएल और अमेरिकी नौसेना के मध्य मास्टर शिप रिपेयर समझौता

Feb 14, 2017, 17:58 IST

रिलायंस और अमेरिकी नौसेना के बीच समझौता लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) के तहत किया गया है.

रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (आरडीईएल) और अमेरिकी नौसेना ने मास्टर शिप रिपेयर एग्रीमेंट (एमएसआरए) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके तहत हिंद महासागर में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े की सर्विस, मेंटेनेंस और मरम्मत का काम किया जाएगा. अनिल अंबानी की कंपनी और अमेरिकी नौसेना के बीच हुए इस समझौते की घोषणा 13 फरवरी 2017को की गई थी. अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े में अन्य जहाजों के साथ फ्रंटलाइन युद्धपोत, गश्ती और आपूर्ति जहाज भी हैं. इनमें से करीब 100 पोत फिलहाल हिन्द महासागर में चल रहे हैं.

भारत, अमेरिका ने समझौते के अनुसार एलईएमओए पर हस्ताक्षर किया है. काम गुजरात में पिपावाव स्थित रिलायंस शिपयार्ड में किया जाएगा. फिलहाल, ये पोत मरम्मत और रख–रखाव कार्य के लिए जापान या सिंगापुर जाते हैं. ऐसा पहली बार है जब कोई भारतीय कंपनी, चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी, भारतीय सीमा के भीतर अमेरिकी सेना को लॉजिस्टिक्स का सहयोग देगी.

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पृष्ठभूमि


रिलायंस और अमेरिकी नौसेना के बीच समझौता लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) के तहत किया गया है. यह समझौता दो देशों, भारत और अमेरिका, के बीच अगस्त 2016 में हुआ था. समझौते पर हस्ताक्षर रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के अमेरिकी दौरे के दौरान पेंटागन में किया गया था.

यह लॉजिस्टिक समझौता इस उद्देश्य के साथ किया गया था कि दोनों देश आपूर्तियों और मरम्म के लिए एक दूसरे के ठिकानों का इस्तेमाल कर सकें.

समझौते पर हस्ताक्षर पिपावाव शिपयार्ड के जनवरी  2016 में सातवें बेड़े के मरम्मत, सर्विस और मेंटेनेंस के लिए अनुमोदित ठेकेदार के तौर पर योग्य पाए जाने पर किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी नौसेना ने सातवें बेड़े के मेंटेनेंस और मरम्मत कार्य पर करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च करती है.

रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड और पिपावाव डिफेंस

रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (आरडीईएल) जिसे पहले पिपावाव डिफेंस के नाम से जाना जाता था और ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (पीडीओईसीएल) के पास भारत में सबसे बड़ा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर है. यह दुनिया के सबसे बड़े सूखे बंदरगाहों में से एक है. आरडीईएल भारत में पहली प्राइवेट सेक्टर की कंपनी है जिसे युद्धपोत बनाने का लाइसेंस और अनुबंध प्राप्त हुआ है. आरडीईएल 662 M x 65 M  शुष्क बंदरगाह के साथ भारत के सबसे बड़े जहाजनिर्माण सुविधा का संचालन करता है. इस सुविधा में एकमात्र मॉड्यूलर जहाजनिर्माण सुविधाएं हैं.

 

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