अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विश्व का सबसे छोटा कंप्यूटर 'मिशिगन माइक्रो मोट' विकसित किया गया है. शोधकर्ताओं ने इस कंप्यूटर को मेडिकल क्षेत्र में सहायता हेतु बनाया गया है.
मार्च 2018 में आईबीएम ने एक छोटा कंप्यूटर जारी किया था जिसका आकार मात्र एक एमएम था जो एक नमक के दाने से भी छोटा था. लेकिन अब मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे छोटा कंप्यूटर बनाया है. इसका आकार केवल 0.3 मिलिमीटर है.
मिशिगन माइक्रो मोट की विशेषताएं
• यह एक ऐसा कंप्यूटर है जो केवल 0.3 मिलीमीटर आकार का है और यह कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का पता लगाने और उसके इलाज के नए दरवाजे खोलने में मदद कर सकता है.
• नए डिवाइस में रैम और फोटोवोल्टिक्स की जगह प्रोसेसर, वायरलेस ट्रांसमीटर और रिसीवर लगाए गए हैं.
• यह डिवाइस रेडियो एंटीना की जगह प्रकाश की मदद से डाटा रिसीव और ट्रांसमिट करता है.
• डिवाइस को पावर और प्रोग्रामिंग के लिए प्रकाश उपलब्ध कराने के लिए एक बेस स्टेशन बनाया गया है. इसी की मदद से डिवाइस डाटा भी रिसीव करता है.
• इसे तापमान सेंसर की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
महत्वपूर्ण जानकारी |
इस शोध के मुख्य वैज्ञानिक डेविड ब्लॉव ने कहा कि हमें पता नहीं इसे कंप्यूटर कहना चाहिए भी या नहीं क्योंकि इसमें बहुत कम काम होता है. यह छोटा या कंप्यूटर लाईट से बिजली बनाए जाने वाली प्रक्रिया पर चलता है जिसे फोटोवोल्टेक्स कहते हैं. इसमें डेटा का लेन-देन लाईट के जरिए होता है. इसमें प्रोसेसर, रैम और वायरलेस ट्रांसमिटर हैं. इसे अभी सटीक तापमान सेंसर के रूप में बनाया गया है-खासतौर पर कैंसर कोशिकाओं के तापमान के लिए. |
कहां उपयोग हो सकता है?
• ग्लोकोमा से पीड़ित मरीज की आंखों के अंदर दबाव का पता लगाने के लिए विश्व का सबसे छोटा कंप्यूटर सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है.
• मिशिगन माइक्रो मोट अत्याधुनिक कैंसर अनुसंधान में उपयोग किया जा सकता है. इसे कोशिकाओं में प्रवेश कराकर उनके तापमान का पता लगाया जा सकता है और स्थिति का सही अंदाजा लगाया जा सकता है.
• इस सबसे छोटे कंप्यूटर को निगरानी कार्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे तेल जलाशयों की निगरानी, बायोकैमिकल की निगरानी, ऑडियो और विजुअल इनपुट के साथ सुरक्षा आदि के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
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