कॉरपोरेट मामले मंत्रालय (एमसीए) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के बीच जानकारी के स्वतः और नियमित आदान-प्रदान के लिए समझौता किया गया.
देश में फर्जी कंपनियों (शेल कंपनियों), धनशोधन और काला धन की समस्या से निपटने और विभिन्न गैर-कानूनी उद्देश्यों के लिए शेल कंपनियों के जरिये कॉरपोरेट संरचना का दुरुपयोग रोकने हेतु यह कदम उठाया गया.
भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए कदम को आगे बढ़ाते हुए कॉरपोरेट मामले मंत्रालय (एमसीए) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के बीच आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए 6 सितंबर 2016 को आधिकारिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
- इस एमओयू से सीबीडीटी और मंत्रालय के बीच स्वतः और नियमित आधार पर आंकड़ें और जानकारी साझा करने की सुविधा होगी.
- इसके तहत स्थायी खाता संख्या (पैन), कॉरपोरेट कंपनियों से संबंधित आंकड़ें, कॉरपोरेट कंपनियों के आयकर रिटर्न (आईटीआर), कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा रजिस्ट्रार के पास दर्ज की गई वित्तीय जानकारी, शेयर आवंटन का रिटर्न, लेखा परीक्षा रिपोर्ट और बैंक से कॉरपोरेट कंपनियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन का विवरण साझा किया जा सकेगा.
- एमओयू से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नियामक उद्देश्यों के लिए मंत्रालय और सीबीडीटी के बीच असीमित पैन-सीआईएन (कॉर्पोरेट पहचान संख्या) और पैन-डीआईएन (निदेशक पहचान संख्या) लिंक हों. साझा जानकारी भारतीय कॉरपोरेट कंपनियों और देश में परिचालित विदेशी कॉरपोरेट कंपनियों से संबंधित होगी.
- आंकड़ों के नियमित आदान-प्रदान के अतिरिक्त सीबीडीटी और मंत्रालय के बीच जांच, निरीक्षण और अभियोजन के लिए अनुरोध करने पर उनसे संबंधित डाटाबेस में उपलब्ध किसी भी प्रकार की जानकारी का आदान-प्रदान भी किया जा सकेगा.
- यह एमओयू हस्ताक्षर करने की तारीख से प्रभावी है. इसके लिए आंकडा आदान-प्रदान संचालन समूह भी गठित किया गया है जो समय-समय पर आंकड़ों के आदान-प्रदान की स्थिति की समीक्षा करेगा और दोनों एजेंसियों को प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाएगा.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation