रक्षा मंत्रालय द्वारा चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी की मीटिंग में चर्चा उपरांत तथा सैद्धांतिक सहमति के बाद मिलिट्री नर्सिंग स्टाफ (एमएनएस) को भी एक्स-सर्विसमैन का दर्जा दिए जाने को मंजूरी दी गई. रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इसमें तकनीकी तौर पर एमएनएस अधिकारी एक्स-सर्विसमैन की दी गई परिभाषा में नहीं आते हैं, इसलिए सरकारी दस्तावेजों में इस परिभाषा का संशोधन किया जायेगा.
लाभ |
• एक्स-सर्विसमैन का दर्जा दिए जाने पर एमएनएस अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत दोबारा कहीं नौकरी हासिल करने में आसानी होगी. • इससे राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए मौजूद नौकरियां हासिल करने में इन अधिकारियों को सुविधा होगी. • इसके अतिरिक्त सेवानिवृत्त अधिकारियों के बच्चों को कॉलेज में दाखिले में भी सुविधा मिलेगी. • गौरतलब है कि एमएनएस अधिकारी पहले से ही Ex-servicemen Contributory Health Scheme (ईसीएचएस) सुविधा का लाभ हासिल कर पा रहे हैं. |
मुख्य बिंदु
• थल, जल और वायु सेना में अहम भूमिका निभाने वाली 'फ्लोरेंस नाइटिंगेल्स' अर्थात मिलिट्री नर्सिंग सर्विस (एमएनएस) की महिला अधिकारियों को जल्द ही दूसरे फौजियों की तरह एक्स सर्विसमैन का दर्जा प्राप्त होगा.
• यह दर्जा प्राप्त होने पर यह महिला अधिकारी सर्विस के दौरान अपनी आधिकारिक गाड़ी में स्टार प्लेट लगा सकेंगी, जो उनके रैंक और स्टेटस को दर्शाता है.
• महिला ऑफिसर्स लंबे वक्त से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं और सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है.
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पृष्ठभूमि
• एमएनएस अधिकारियों को न तो एक्स सर्विस मैन का स्टीकर दिया जाता है और न ही आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के ब्रिगेडियर और उससे ऊंचे रैंक के अधिकारियों की तरह आधिकारिक गाड़ी में स्टार प्लेट और फ्लैग लगाने की इजाजत है, जो उनके स्टेटस को दर्शाता है.
• लड़ाकू सेना की एकमात्र 'मिलिट्री नर्सिंग सर्विस', जिसमें सभी महिलायें शामिल हैं, लगभग 15 वर्षों से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं.
• इन मामलों में लगभग 28 ऐसे मामले हैं जिन पर महिला ऑफिसर्स ने बराबरी के लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में अपील की है.
• महिला अधिकारियों ने इसके लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में अपील की और 2010 में एएफटी ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के कमिशंड ऑफिसर्स की तरह एमएनएस ऑफिसर्स को भी रैंक और इंटाइटलमेंट में बराबरी का हक मिलना चाहिए.
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· एमएनएस अधिकारियों को न तो एक्स सर्विस मैन का स्टीकर दिया जाता है और न ही आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के ब्रिगेडियर और उससे ऊंचे रैंक के अधिकारियों की तरह आधिकारिक गाड़ी में स्टार प्लेट और फ्लैग लगाने की इजाजत है, जो उनके स्टेटस को दर्शाता है.
· लड़ाकू सेना की एकमात्र 'मिलिट्री नर्सिंग सर्विस', जिसमें सभी महिलायें शामिल हैं, लगभग 15 वर्षों से अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं.
· इन मामलों में लगभग 28 ऐसे मामले हैं जिन पर महिला ऑफिसर्स ने बराबरी के लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में अपील की है.
· महिला अधिकारियों ने इसके लिए आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में अपील की और 2010 में एएफटी ने उनके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के कमिशंड ऑफिसर्स की तरह एमएनएस ऑफिसर्स को भी रैंक और इंटाइटलमेंट में बराबरी का हक मिलना चाहिए.
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