मदर टेरेसा की 109वीं जयंती मनाई गई, जानिए उनके जीवन से जुड़ी खास बातें

Aug 26, 2019, 15:18 IST

मदर टेरेसा ने वर्ष 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की थी. आज यह संस्था 123 देशों में सक्रिय है.

मदर टेरेसा
मदर टेरेसा

भारत में आज मदर टेरेसा की 109वीं जयंती मनाई जा रही है. मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ था. उन्हें विशेष रूप से उनके समाजसेवी कार्यों जैसे गरीबों, अनाथ, बेघर, एड्स और कुष्ठ रोग के पीड़ितों की सेवा के लिए जाना जाता है.  

उनका वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था. वे एक अल्बानियन-भारतीय रोमन कैथोलिक नन थीं. उन्होंने मात्र 18 वर्ष की आयु में समाजसेवा के लिए अपना घर छोड़ दिया था और भारत आ गई थीं और अपने जीवन का लगभग सारा समय यहीं लोगों की सेवा में बिताया.

मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी

मात्र 18 वर्ष की उम्र में लोरेटो सिस्टर्स में दीक्षा लेकर वे सिस्टर टेरेसा बनीं थी. उन्होंने मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी की स्थापना की थी. वर्ष 1996 तक उनकी संस्था ने करीब 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोले जिससे लगभग पांच लाख लोगों की सहायता की जाने लगी. वर्तमान समय में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी 123 देशों में सक्रिय है और इसमें 4000 से ज्यादा सिस्टर कार्यरत हैं.

भारत में मदर टेरेसा

  • मदर टेरेसा 19 वर्ष की आयु में 1929 में भारत आईं और समाजसेवा की शुरुआत की. उन्हें भारत के साथ साथ कई अन्य देशों की नागरिकता मिली हुई थी, जिसमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया और युगोस्लाविया शामिल हैं.
  • मदर टेरेसा ने कहा था कि एक बार वे दार्जलिंग की यात्रा पर जा रही थीं तो उन्हें अंतरात्मा से आवाज़ आई कि उन्हें सब कुछ छोड़ कर असहाय लोगों की सहायता के लिए लग जाना चहिए
  • वर्ष 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों की सेवा का संकल्प लिया था. निस्वार्थ सेवा के लिए मदर टेरेसा ने वर्ष 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की थी.
  • उनके द्वारा लिखित दस्तावेजों में वर्णित है कि उन्होंने 1981 में उन्होंने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया था.
  • 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' में अति दरिद्र लोगों की सेवा की जाती थी. वर्ष 1952 में उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ नाम से एक आश्रम की शुरुआत की. यहां आने वाले लोगों को न केवल निःशुल्क मेडिकल सेवा दी जाती थी बल्कि उन्हें मर्यादापूर्वक मृत्यु स्थान भी मिलता था.
  • आगे चलकर उन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए ‘शांति नगर’ नाम से एक अस्पताल भी आरंभ किया. इसके अतिरिक्त उन्होंने निर्मल शिशु भवन की शुरुआत की जहां बच्चों को स्वास्थ्य सुविधा दी जाती थी.

सम्मान एवं पुरस्कार

मदर टेरेसा को उनकी सेवाओं के लिये विश्व भर में विभिन्न पुरस्कारों एवं सम्मानों से नवाजा गया है. उन्हें वर्ष 1979 में शांति और सदभावना के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अगले ही वर्ष 1980 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. इसके अतिरिक्त 09 सितम्बर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि से विभूषित किया था.

निधन

मदर टेरेसा अपनी वृद्ध आयु में भी दिन-रात असहायों की सेवा करती रहती थीं जिनके चलते उन्हें दो बार हृदयघात हो चुका था तथा न्यूमोनिया लगातार बना रहता था. सेहत लगातार खराब रहने के कारण उन्‍होंने 1996 में संस्था के पद से इस्तीफा दे दिया था. अगले ही वर्ष 05 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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