मुंबई अंडर-सी टनल के बारे में पढ़ें यहां महत्त्वपूर्ण जानकारी

Feb 26, 2021, 18:07 IST

इन अंडरसी टनल्स को मुंबई तटीय सड़क परियोजना के एक भाग के तौर पर बनाया जाएगा, जिसमें समुद्र, सुरंगों, पुलों से पुन: प्राप्त किये गये क्षेत्रों पर भूमि से भरी सड़कें शामिल हैं.

Mumbai Undersea Tunnel: All You need to know
Mumbai Undersea Tunnel: All You need to know

मुंबई में वर्ष, 2023 तक भारत की पहली भूमिगत सुरंग होगी जो शहर की तटीय मार्ग परियोजना का हिस्सा होगी. इन अंडरसी टनल्स/ समुद्र के भीतर बनने वाली सुरंगों को मुंबई तटीय मार्ग परियोजना के एक भाग के तौर पर बनाया जाएगा.

इन सुरंगों का निर्माण कहां किया जा रहा है?

02.07 किमी की लंबाई वाली इन ट्विन सुरंगों को मुंबई तटीय सड़क परियोजना के हिस्से के तौर पर बनाया जा रहा है. इन सुरंगों को समुद्र के एक किलोमीटर नीचे बनाया जाएगा. ये ट्विन सुरंगे मरीन ड्राइव प्रोमेनेड से शुरू होकर बांद्रा - वर्ली समुद्र लिंक के वर्ली-एंड तक, 10.58 किलोमीटर लंबी हैं. ये  सुरंगें प्रियदर्शिनी पार्क से शुरू होकर, मरीन ड्राइव में नेताजी सुभाष रोड पर समाप्त होंगी.

इन सुरंगों के निर्माण की लागत

तटीय मार्ग के मरीन ड्राइव में प्रियदर्शिनी पार्क से प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर तक इन सुरंगों के निर्माण की कुल लागत 2,798.44 करोड़ रुपये है. इसमें मुख्य रूप से ट्विन सुरंगों का निर्माण और संबद्ध कार्य शामिल होंगे.

ये सुरंगें समुद्र के भीतर कितनी गहरी होंगी?

मुंबई शहर में ये अंडर-सी टनल्स समुद्र तल से 20 मीटर नीचे होंगी. इनकी तुलना में चैनल टनल समुद्र तल से 75 मीटर नीचे है और जापान की सीकैन टनल सीबेड से 100 मीटर नीचे है.

मुंबई में ये ट्विन टनल्स भी तट के बहुत करीब बनाई जा रही हैं, जहां समुद्र की गहराई 4 से 5 मीटर से अधिक नहीं है.

पानी के नीचे सुरंग खोदने की प्रक्रिया

• मुंबई में पानी के नीचे इन सुरंगों को खोदने के लिए, 2,800 टन की एक सुरंग बोरिंग मशीन जो भारत में अपनी तरह की सबसे बड़ी है, को भी लगाया गया है.
• इन सुरंगों की खुदाई के लिए मशीन को 30 लोगों की टीम द्वारा संचालित किया जाएगा. इसमें 12.19 मीटर का व्यास है जो ठोस चट्टान के बीच से भी रास्ता बना देगा.

समुद्र के भीतर सुरंग के निर्माण की प्रमुख चुनौतियां

समुद्र के भीतर बनाई जा रही सुरंग का निर्माण करना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. समुद्र के भीतर  सुरंग का निर्माण करते समय चिंता के दो प्रमुख मुद्दे हैं - समुद्री जल के दबाव के कारण या फिर, सुरंग में समुद्री जल का रिसाव होने के कारण सुरंग का ढहना.

ट्विन सी टनल्स में यात्रियों की सुरक्षा के उपाय

• प्रत्येक अंडरसी टनल में दो लेन्स होंगी, जो 3-3.2 मीटर चौड़ी होगी. एक आपातकालीन लेन भी इन टनल्स में होगी.
• भले ही ये दोनों सुरंगें अलग-अलग होंगी, लेकिन इन ट्विन टनल्स को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए 11 क्रॉस-सेक्शन सुरंगें बनाई जाएंगी.

इन सुरंगों के अंदर तापमान को कैसे नियंत्रित किया जाएगा?

इन सुरंगों के अंदर खतरनाक गैसों की समस्या को हल करने के लिए, सैकॉर्डो नामक एक वेंटिलेशन सिस्टम लगाया जाएगा. यह सिस्टम इन सुरंगों के भीतर उत्सर्जन के स्तर की निगरानी करेगा और धुएं को बाहर निकालने के लिए बड़े वेंटिलेशन फैन्स के माध्यम से एक एयर जेट को संचालित करेगा.

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