01 फरवरी, 2021 को म्यांमार की सेना ने अपने देश की सरकार का तख्तापलट दिया और एक साल के लिए देश में आपातकाल घोषित कर दिया. म्यांमार की शक्तिशाली सेना ने देश की राज्य काउंसलर आंग सान सू की और कई अन्य नागरिक नेताओं को भी हिरासत में ले लिया है. म्यांमार की सेना के इस कदम की कई अन्य देशों ने निंदा की है.
वर्तमान में, रक्षा सेवाओं के कमांडर-इन-चीफ, मिन आंग हलिंग को राज्य की सत्ता सौंप दी गई है, जबकि म्यांमार के पहले उपराष्ट्रपति म्यांत स्वे देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर कार्य करेंगे.
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के कारण
सरकार और सेना के बीच बढ़ते तनाव के बीच म्यांमार में नया राजनीतिक संकट आ गया है.
सैन्य अधिकारियों के अनुसार, 8 नवंबर, 2020 को हुए चुनावों में बड़े पैमाने पर वोटिंग धोखाधड़ी हुई है. उन्होंने नए संसदीय सत्र को स्थगित करने की भी मांग की, जो 01 फरवरी को होने वाला था. हालांकि, केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.
देश में वर्ष, 2011 में 50 साल के सैन्य शासन से उभरने के बाद से, दूसरा लोकतांत्रिक चुनाव नवंबर, 2020 में हुआ था. इन रिपोर्टों के अनुसार, म्यांमार की राज्य काउंसलर आंग सान सू की को भी कई वर्षों तक उनके घर में नजरबंद रखा गया था.
देश में टेलीफोन, इंटरनेट सेवाएं प्रभावित
म्यांमार की सेना के सत्ता में आने के बाद, देश की राजधानी नैपीटाव में टेलीफोन और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है. म्यांमार के अन्य प्रमुख शहरों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है.
म्यांमार के नागरिक इस उम्मीद के साथ एटीएम में लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं कि, आने वाले दिनों में देश में नकदी की कमी हो सकती है. म्यांमार बैंक एसोसिएशन के अनुसार, बैंकों ने भी अपनी वित्तीय सेवाओं को अस्थायी रूप से रोक दिया है.
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