राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 29 जुलाई 2021 को बताया कहा कि उसने पंजाब के फिरोजपुर, फाजिल्का, होशियारपुर और रूपनगर जिलों में पेयजल परियोजनाओं के लिए 445.89 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. नाबार्ड ने बताया कि यह निधि ग्रामीण अवसंरचना विकास के तहत मंजूर की गई हैं.
इन परियोजनाओं में घरेलू नल के माध्यम से उपभोक्ता को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 70 लीटर पीने योग्य पेयजल उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है. नाबार्ड (पंजाब) के मुख्य महाप्रबंधक राजीव सिवाच ने यहां एक आधिकारिक बयान में कहा कि इन परियोजना के जरिये 700 गावों की 10.39 लाख आबादी को जल के जरिये पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि पंजाब के फिरोजपुर और फाजिल्का के गांवों में पानी में मैलापन की समस्या है जबकि रूपनगर और होशियारपुर के गांवों में साल में एक मौसम में पानी की कमी की समस्या रहती है.
नाबार्ड के बारे में
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) मुम्बई, महाराष्ट्र अवस्थित भारत का एक शीर्ष बैंक है. इसे "कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है.
शिवरामन समिति (शिवरामन कमिटी) की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम 1981 को लागू करने के लिए संसद के एक अधिनियम के द्वारा 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना की गयी. यह ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख एजेंसियों में से एक है.
नाबार्ड के प्रमुख कार्य
ग्रामीण क्षेत्रों में विविध विकासात्मक गतिविधियों को जारी रखने के लिए निवेश और उत्पादन हेतु ऋण की उपलब्धि को संभव बनाना और विविध संस्थानों के लिए एक प्रमुख वित्तपोषण एजेंसी के रूप में कार्य करना.
ऋण संस्थाओं के ऋण वितरण प्रणाली की निगरानी करना और साथ ही उनका पुनर्गठन, पुनर्वास आदि कार्यों को सम्पादित करना. इसके अतिरिक्त योजनाओं एवं कर्मियों के प्रशिक्षण के निर्माण के साथ-साथ उनकी दक्षता में वृद्धि करना.
ग्रामीण क्षेत्र में वित्त सुविधा उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं के मध्य समन्वय बनाना और विकासपरक कार्यों के सन्दर्भ में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य में आपसी समन्वय बनाना. इस सन्दर्भ में आरबीआई और अन्य वित्तीय संसथाएं नीतियों के निर्माण में प्रमुख भूमिका का निर्वहन करती हैं.
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