भारतीय संविधान के पिता डॉ. बीआर आम्बेडकर 6 दिसंबर 2016 को खबरों में रहे. अपनी 60वीं पुण्यतिथि पर वे सुर्खियों में आए. इस अवसर पर लाखों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए चैत्य भूमि पर एकत्र हुए. चैत्य भूमि वही स्थान है जहां 6 दिसंबर 1956 को मृत्यु के बाद उन्हें दफनाया गया था.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) ने महापरिनिर्वाण दिवस पर चैत्य भूमि आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था की थी.
एमसीजीएम द्वारा चैत्य भूमि पर की गई तैयारियों का विवरण:
• आगंतुकों के मार्गदर्शन के लिए 10 नियंत्रण कक्ष की स्थापना की थी.
• शिवाजी पार्क और चैत्यभूमि के आस– पास अलग– अलग जगहों पर 11 एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई थी.
• कार्यक्रम स्थल और किताब की दुकानों वाली दादर चौपाटी पर करीब 750 कार्यकर्ताओं को चौबीस घंटे की ड्यूटी पर तैनात किया गया था.
• आगंतुकों की मदद के लिए करीब 200 मोबाइल शौचालय, पानी के टैंकर, उपयोगिता वाहन और अग्निशमन वाहन तैनात किए गए थे.
डॉ. भीमराव रामजी आम्बेडकर:
• 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्मे बाबा साहेब भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे.
• उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ समाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाए. साथ ही महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन भी किया.
• वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारत के संविधान के प्रमुख रचयिता थे.
• उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही संस्थानों से इन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की थी.
• अपने करिअर के शुरुआत में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे.
• बाद में, वे राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए और भारत के स्वतंत्रता संग्राम और वार्ताओं का हिस्सा बने.
• वर्ष 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और बड़े पैमाने पर दलितों के धर्मांतरण की शुरुआत की.
• वर्ष 1990 में मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
• 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया था.
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