भारत सरकार के केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, पुरुषोत्तम रूपाला ने उत्तर प्रदेश राज्य में 08 अक्टूबर, 2021 को रिवर रैंचिंग (नदी पशुपालन) कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
रिवर रैंचिंग प्रोग्राम की मुख्य विशेषताएं
- यह कार्यक्रम बृजघाट, गढ़ मुक्तेश्वर, उत्तर प्रदेश में शुरू किया गया था.
- हमारे देश में उत्तर प्रदेश के साथ, अन्य 04 राज्यों, उड़ीसा, उत्तराखंड, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ ने भी इस 'राष्ट्रव्यापी नदी पशुपालन कार्यक्रम' के शुभारंभ में भाग लिया.
- उत्तर प्रदेश के तीन स्थलों बृजघाट, तिगरी, मेरठ, गढ़मुक्तेश्वर और बिजनौर में 03 लाख फिंगरलिंग्स (छोटी मछलियों) का प्रजनन किया गया.
- उत्तर प्रदेश में, लगभग 500 लोगों ने राष्ट्रीय स्तर पर इस रिवर रैंचिंग कार्यक्रम के शुभारंभ में भाग लिया.
- उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गंगा नदी के चंडी घाट पर 01 लाख फिंगरलिंग्स का प्रजनन किया गया.
- त्रिपुरा के 04 स्थलों अर्थात् उदयपुर में गोमती नदी पर 85 लाख फिंगरलिंग्स का प्रजनन किया गया; तेलियामुरा में खोवाई नदी; कमालपुर में धलाई नदी और दशमीघाट में देव नदी पर आयोजित किये गये इस कार्यक्रम में लगभग 218 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
रिवर रैंचिंग कार्यक्रम
इस रिवर रैंचिंग कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) योजना के तहत विशेष गतिविधि के रूप में शुरू किया गया था ताकि भूमि और पानी का उत्पादक रूप से विस्तार, गहन, विविधीकरण और उपयोग करके मछली उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके.
रिवर रैंचिंग प्रोग्राम का कार्यान्वयन करने वाली एजेंसी के बारे में
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के केंद्रीय घटक के तहत, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद बतौर नोडल एजेंसी कार्यरत है. इस बोर्ड को "मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य मंत्रालय" द्वारा नामित किया गया है.
रिवर रैंचिंग की आवश्यकता और महत्त्व
जैसे-जैसे मानव आबादी बढ़ रही है, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन की आवश्यकता और मछली की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है. इस प्रकार, एक किफायती और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए, यह रिवर रैंचिंग प्रोग्राम शुरू किया गया था. यह कार्यक्रम स्थायी मत्स्य पालन प्राप्त करने, जैव विविधता के संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का आकलन करने, मत्स्य आवास क्षरण को कम करने और सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम करने में मदद करेगा. यह पारंपरिक मत्स्य पालन, अंतर्देशीय समुदायों के व्यापार और सामाजिक संरक्षण के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता के उन्नयन को भी सुनिश्चित करेगा.
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