ब्रिटेन की सरकार ने 24 जनवरी 2018 को फेक न्यूज़ की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए नयी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संवाद इकाई’ बनायी है. इस समय सभी देशों की भांति ब्रिटेन में भी सोशल मीडिया तथा इन्टरनेट के अन्य साधनों के जरिये फेक न्यूज़ तेजी से बढ़ रहा है.
फेक न्यूज का जिक्र पूरी तरह झूठी सूचना, तस्वीर या वीडियो, जानबूझकर दुष्प्रचार किये जाने और लोगों के बीच भ्रम या गलतफहमी फैलाने के संदर्भ में किया जाता है.
ब्रिटेन में आरंभ की गयी नई सुरक्षा इकाई देश की रक्षा क्षमताओं की व्यापक समीक्षा का हिस्सा है. सरकार इसके जरिए आपस में जुड़ी, जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा संवाद का और बेहतर इस्तेमाल करेगी.
ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा संवाद इकाई
• यह दल संदिग्ध सूचनाओं की पहचान करने के लिए सोशल मीडिया पर नजर रखेगा और तथ्यों के साथ बहस शुरू करेगा.
• गलत सूचनाओं का तुरंत खंडन करने और तथ्यों पर आधारित सार्वजनिक बहस शुरू करने के लिए सोशल मीडिया पर त्वरित प्रक्रिया क्षमता विकसित होगी.
• इससे पहले ब्रिटेन की संसदीय समितियों ने सोशल मीडिया की बड़ी कंपनियों को इस बात की जांच करने के निर्देश दिए थे कि क्या रूस ने जून 2016 में यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए हुए जनमत संग्रह में हस्तक्षेप किया था.
• ब्रिटिश कैबिनेट कार्यालय की अध्यक्षता वाली नयी इकाई के जरिए इन समस्याओं का समाधान होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकताओं के हिसाब से काम करने में मदद मिलेगी.
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फेक न्यूज़ क्या है?
जैसा कि नाम से ही पता चलता है इसके अंतर्गत झूठी अथवा खबर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. मसलन आंकड़ों, रिपोर्ट एवं तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करके उसे सोशल मीडिया अथवा अन्य स्रोतों द्वारा फैलाया जाता है. एसोसिएटेड प्रेस ने यह बात स्वीकार की है कि उसकी कुछ ऐसी ख़बरें भी थीं, जो न्यूज़ नहीं थीं. इसलिए एपी ने एक नया न्यूज़ फीचर शुरू किया है, नॉट रियल न्यूज. इसके तहत ऐसी फेक न्यूज़ का पर्दा़फाश किया जाएगा जो ट्वीटर या दूसरे प्लेटफॉर्म पर वायरल हुईं.
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