WHO’s new Air Quality Norms: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 22 सितंबर 2021 को संशोधित वायु गुणवत्ता गाइडलाइंस (Air Quality Guidelines) जारी की. इसका मकसद वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करना और दुनिया भर में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों के खतरे को कम करना है.
वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन के साथ ही लोगों की सेहत हेतु सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक है. संयुक्त राष्ट्र (UN) की स्वास्थ्य एजेंसी ने अब वायु प्रदूषण को धूम्रपान या अस्वास्थ्यकारी आहार के बराबर माना है. हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने नए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
हर साल 70 लाख लोगों की मौत
डब्ल्यूएचओ का आकलन है कि वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है. वायु प्रदूषण से होने वाली 91 प्रतिशत मौतें निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं.
Every year, exposure to #AirPollution is estimated to cause 7⃣ million premature deaths and result in the loss of millions more healthy years of life.
— World Health Organization (WHO) (@WHO) September 22, 2021
🆕 guidelines recommend air quality levels to protect health and save lives around the 🌎🌍🌏
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पूरा भारत प्रदूषित
नई परिभाषा को मानें तो साल के ज्यादातर समय पूरा भारत ही प्रदूषण में जी रहा है. दुनिया का आलम ये है कि प्रत्येक साल लगभग 70 लाख लोग प्रदूषण के कारण मर रहे हैं. तय मानकों के से 17 गुना ज्यादा प्रदूषण के साथ दिल्ली देश और एशिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है.
एयर क्वालिटी गाइड लाइन जारी
डब्ल्यूएचओ ने 22 सितंबर 2021 को 2005 के बाद से पहली एयर क्वालिटी गाइड लाइन जारी की है. इसका उद्देश्य हृदय और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनने वाले प्रमुख प्रदूषकों से होने वाली मौतों को कम करना है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने अपने 194 सदस्य देशों को सलाह देते हुए कई प्रदूषकों के लिए सिफारिश के अधिकतम स्तर को घटा दिया है.
डब्ल्यूएचओ ने लगभग सभी एयर क्वालिटी गाइड लाइन के स्तरों को नीचे की ओर समायोजित किया है. यह चेतावनी देते हुए कहा कि नए एयर क्वालिटी गाइड लाइन के स्तर से अधिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जोखिम से जुड़ा है. साथ ही उनका पालन करने से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है.
पीएम 2.5 स्तर के लिए सिफारिश
नई गाइलाइन के तहत, डब्ल्यूएचओ ने औसत वार्षिक पीएम 2.5 स्तर के लिए सिफारिश की सीमा को 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से आधा करके पांच कर दिया. इसने पीएम 10 के लिए सिफारिश की सीमा को 20 माइक्रोग्राम से घटाकर 15 कर दिया है.
गाइलाइन में कहा गया कि यदि वर्तमान वायु प्रदूषण के स्तर को नवीनतम गाइडलाइन में प्रस्तावित लोगों तक कम कर दिया गया था, इससे पीएम 2.5 से जुड़ी लगभग 80 प्रतिशत मौतों को दुनिया में टाला जा सकता है. यह 2.5 माइक्रोन व्यास के कण पदार्थ का जिक्र किया गया है.
पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क को कम करना
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के संपर्क को कम करना, फेफड़ों में गहराई से प्रवेश करने और रक्तप्रवाह में प्रवेश करने में सक्षम होना प्राथमिकता है. ये मुख्य रूप से परिवहन, ऊर्जा, घरों, उद्योग और कृषि सहित क्षेत्रों में ईंधन के दहन से पैदा होते हैं.
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