गोवा में CSIR - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी (CSIR-NIO) ने हिंद महासागर में जीवों की आनुवंशिक विविधता के साथ-साथ, उन पर ट्रेस मेटल और सूक्ष्म पोषक तत्वों के प्रभाव को मैप करने के लिए एक परियोजना शुरू की है. इस परियोजना को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद - CSIR द्वारा इसकी एक प्रमुख परियोजना ‘Trace Bio Me’ के तहत समर्थित किया जाएगा.
CSIR-NIO की इस परियोजना द्वारा हासिल किये गये आंकड़ों से सतत विकास लक्ष्यों 14: पानी के नीचे जीवन, के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिसका उद्देश्य समुद्र, महासागरों और समुद्री स्रोतों के संरक्षण के साथ उनका स्थायी उपयोग करना है.
इस प्रोजेक्ट के तहत क्या होगा?
CSIR-NIO द्वारा यह परियोजना हिंद महासागर के विभिन्न हिस्सों में तलछट, प्लवक, पानी और विभिन्न जीवों का एक विस्तृत नमूनाकरण करने का इरादा रखती है. इस नमुनाकरण से जीवों के विभिन्न रूपों और सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ ट्रेस मेटल्स की उपस्थिति का अध्ययन करने में मदद मिलेगी.
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— CSIR-NIO GOA (@CSIRNIOGoa) March 14, 2021
यह अभियान कब तक चलेगा?
यह अनुसंधान वैज्ञानिक जहाज आरवी सिंधु साधना का 90 दिन तक चलने वाला अभियान 15 मार्च, 2021 को विशाखापट्टनम से 30 वैज्ञानिकों के साथ रवाना हुआ. यह अभियान मई के अंत तक दो चरणों में पूरा हो जाएगा और 9,000 समुद्री मील को कवर करेगा. यह अभियान गोवा में समाप्त होगा.
NIO इस मिशन का संचालन क्यों कर रहा है?
CSIR-NIO के वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर में जीवों के सेलुलर स्तर के संचालन को समझने के लिए महासागर में प्रोटीन और जीन की पहचान करने और उनके गुण या स्वाभाव बताने के लिए एक मिशन का शुभारंभ किया है.
इस मिशन के दौरान वैज्ञानिक जीनोमिक्स और प्रोटिओमिक्स जैसी उभरती बायोमेडिकल तकनीकों का उपयोग करेंगे.
प्रोटीन जैव-रासायनिक प्रतिक्रिया के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करेंगे जो जीव समुद्री जल में झेलते हैं. प्रोटिओमिक्स का अध्ययन करके, वैज्ञानिक महासागर की बदलती परिस्थितियों में जीवों की बायो-जियो-केमिस्ट्री की पहचान करने में सक्षम होंगे.
अध्ययन का महत्व
NIO द्वारा किए गए इस अध्ययन से वैज्ञानिकों को महासागरों में डीएनए और आरएनए में परिवर्तन के साथ-साथ अन्य विभिन्न तनावकों को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करने में मदद मिलेगी.
महासागर जीनोम की खोज
इस ओशन/ महासागर जीनोम की खोज को जैव सूचना विज्ञान और अनुक्रमण तकनीकों में तेजी से बदलाव और प्रगति ने संभव बनाया है.
ओशन जीनोम का आगामी अन्वेषण वाणिज्यिक जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों की बढ़ती संख्या को बढ़ाने में सक्षम होगा. यह एंटीवायरल के लिए कई एंटीकैंसर ट्रीटमेंट से लेकर कॉस्मेटिक्स और इंडस्ट्रियल एंजाइम्स तक आगे बढ़ेगा.
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