केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 17 मई 2016 को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) पर व्यापक समीक्षा करने एवं अपनी सिफारिशें देने के लिए एक पांच सदसीय समिति का गठन किया.
इस समिति की अध्यक्षता राजस्व और व्यय सचिव एनके सिंह करेंगे. समिति को अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2016 तक सौंपने के लिए कहा गया है.
इस समिति के अन्य सदस्य हैं – पूर्व वित्त और राजस्व सचिव सुमित बोस, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविन्द सुब्रमण्यम, आरबीआई के उपसचिव उरिजित पटेल एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के निदेशक रथिन रॉय.
समिति के संदर्भ (टीओआर) में निम्न शर्तें हैं:
• यह पिछले 12 वर्षों में एफआरबीएम अधिनियम की कार्यप्रणाली की समीक्षा करेगा एवं आगे का सुझाव देगा. इसका उद्देश्य राजकोषीय समेकन एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और अस्थिरता के संदर्भ में आवश्यक परिवर्तन पर नज़र बनाये रखना है.
• यह एफआरबीएम लक्ष्यों का निर्धारण करने में विभिन्न पहलुओं एवं कारकों पर गौर करेगा.
• यह समिति राजकोषीय घाटे की सीमा एवं मौजूदा निर्धारित संख्या के स्थान पर लक्ष्य के रूप में व्यवहार्यता की जांच करेगी.
• यह अपने आकलनों के आधार पर सामान्य सरकारी घाटे और अन्य एफआरबीएम मापदंडों पर अपनी सिफारिशें प्रदान देगा.
• यह एफआरबीएम रोडमैप के कार्यान्वयन पर अपनी सिफारिशें देगा.
समिति को आवश्यक समझे जाने पर अतिरिक्त टीओआर भी दिए जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में समिति डिपार्टमेंट, सरकारी एजेंसी, विशेषज्ञ एवं संस्थानों से परामर्श करेगी.
पृष्ठभूमि
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने 2016-17 के बजट भाषण में इस समिति के गठन हेतु घोषणा की थी.
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