राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की ओर से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे गंगा घाटी वाले पांच प्रमुख राज्यों में ‘गंगा वृक्षारोपण अभियान’ का आयोजन किया गया. यह आयोजन 9 जुलाई से 15 जुलाई 2018 तक ‘शुभरंभ सप्ताह’ के रूप में मनाया गया था.
इन राज्यों के वन विभागों को इस अभियान को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया था. अभियान में नेहरू युवा केन्द्र संगठन, गंगा विचार मंच, कई गैर सरकारी संगठनों और शिक्षण संस्थानों की भागीदारी उत्साहवर्धक रही.
जिला गंगा समितियों की ओर से भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा सहयोग किया गया. अभियान के संचालन के लिए जिला स्तर पर मंडलीय वन अधिकारियों को तथा राज्य स्तर पर मुख्य वन संरक्षकों को नोडल अधिकारी बनाया गया था.
‘गंगा वृक्षारोपण अभियान’ की मुख्य विशेषताएं:
- गंगा वृक्षारोपण अभियान नमामि गंगे कार्यक्रम का मुख्य घटक है.
- यह गंगा संरक्षण में वन विभाग की ओर से सहयोग की पहल है.
- इसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण के प्रयासों में वनों के महत्व के प्रति आम जनता तथा सभी हितधारकों को जागरूक बनाना है.
- अभियान को जन आंदोलन का रूप देने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विभागों से ‘एक पौधे को गोद लें’ का अनुरोध किया गया.
- इस दौरान कई संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, व्याख्यानों तथा ड्राइंग और पेंटिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया.
- स्थानीय लोगों की भागीदारी से गंगा नदी के किनारे बड़े पैमाने पर पौधा रोपण किया गया.
- अभियान के उपलक्ष्य में 100 से ज्यादा स्थानों पर औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. उत्तर प्रदेश में इसे गंगा हरितिमा अभियान के साथ जोड़ा गया.
- इस दौरान मुख्य रूप से कांजी, शीशम,फार्मेस, जामुन, अर्जुन, गुड़हल, सिरस, चितवन, आम, नीम, सेमल, जंगल जलेबी, गुलमोहर, कदम, सागवान, साल, माहोगनी, बड़, बांस, करोंदा, अश्वगंधा, करी पत्ता, जटरोफा, बेहेदा, धतुरा और सर्पगंधा जैसे पेड़ों के पौधे लगाए गए.
वन अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट:
- अभियान के दौरान वृक्षारोपण कार्यक्रम को वैज्ञानिक तरीके से लागू करने के लिए देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.
- इस रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य वन विभागों ने पौधा रोपण गतिविधियां चलाईं.
- वन अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट में पौधा रोपण करते समय स्थानीय जलवायु, पारिस्थितिकी, वहां की मिट्टी की स्थिति तथा वनस्पतियों को ध्यान में रखने के लिए कहा गया.
गंगा बेसिन में वृक्षारोपण का महत्व: |
जहां वन होते हैं, वहां काफी वर्षा होती है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ता है. बड़ी मात्रा में पेड़ों से झड़ने वाली पत्तियां और छालें वर्षा जल को तेजी से बहने नहीं देती और वह धीरे-धीरे जमीन के अंदर रिसता जाता है, जिससे जल चक्र की प्रक्रिया आसानी से चलती रहती है. इसके अतिरिक्त नदियों के किनारे स्थित घने वन नदियों को स्वत: साफ होने की क्षमता प्रदान करते हैं. ऐेसे में गंगा के किनारे वन लगाए जाने से गंगा संरक्षण के कार्यक्रम को बल मिल रहा है. |
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी):
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) का क्रियान्वयन स्कंध है.
यह सोसाइटी पंजीकरण अधिनियमन, 1860 के अंतर्गत पर्यावरण और वन मंत्रालय जिसे 12 अगस्त 2011 को एक सोसाइटी के रुप में पंजीकृत किया गया है.
भारत सरकार कार्य आबंटन नियम 1961 में 360 संशोधन के अनुसार (एनजीआरबीए) और (एनएमसीजी) दोनों जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय को आबंटित किया गया है.
भारत सरकार के जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव, एनएमसीजी परिषद के अध्यक्ष हैं.
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