प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार बालकवि बैरागी का निधन

May 14, 2018, 09:44 IST

बालकवि बैरागी प्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ एक राजनेता एवं गीतकार भी थे. बालकवि बैरागी अपनी बेहद संवेदनशील रचनाओं, काव्यपाठ और साहित्य से जुड़े विषयों के लिए प्रतिष्ठित शख्सियत के रूप में जाने जाते थे.

Noted Hindi lyricist poet Balkavi Bairagi dies
Noted Hindi lyricist poet Balkavi Bairagi dies

भारत के वरिष्ठ एवं लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक बालकवि बैरागी का 13 मई 2018 को मध्य प्रदेश में निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे. वे हिंदी काव्य मंचों पर काफी लोकप्रिय थे. उन्होंने मध्य प्रदेश में मनासा स्थित अपने निवास स्थान में अंतिम सांस ली.

बालकवि बैरागी प्रसिद्ध कवि होने के साथ-साथ एक राजनेता एवं गीतकार भी थे. बैरागी मृदुभाषी और सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी कविता को पहचान दिलाई. बालकवि बैरागी अपनी बेहद संवेदनशील रचनाओं, काव्यपाठ और साहित्य से जुड़े विषयों पर एक प्रतिष्ठित शख्सियत के रूप में जाने जाते थे.

बालकवि बैरागी के बारे में जानकारी

•    बालकवि बैरागी का जन्म जन्म 10 फरवरी, 1931 को मंदसौर जिले की मनासा तहसील के रामपुर गांव में हुआ था.

•    कविताएं लिखना उन्होंने कम उम्र से ही शुरू कर दिया था. जब वह चौथी कक्षा में पढ़ते थे, तब उन्होंने पहली कविता लिखी जिसका शीर्षक ‘व्यायाम’ था.

•    उनका बचपन में नाम नंदरामदास बैरागी था और इस कविता के कारण ही उनका नाम नंदराम बालकवि पड़ा, जो आगे चलकर बालकवि बैरागी हो गया.

•    उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए किया.

•    कॉलेज के समय में उन्होंने राजनीति में भी सक्रिय रूप से भागीदारी लेनी शुरू कर दी थी.

•    वे मध्य प्रदेश की सरकार में खाद्य मंत्री रहे और फिर राज्यसभा सदस्य भी रहे.

•    मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें कवि प्रदीप सम्मान भी प्रदान‍ किया था.

बालकवि बैरागी की प्रसिद्ध रचनाएं

उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में शामिल हैं - करोड़ों सूर्य, सूर्य उवाच, दीवट (दीप पात्र) पर दीप, झर गये पात, गन्ने मेरे भाई!!, जो कुटिलता से जियेंगे, अपनी गंध नहीं बेचूंगा, मेरे देश के लाल, नौजवान आओ रे, सारा देश हमारा आदि. उन्होंने बाल रचनाएं भी की जो शिशुओं के लिए पांच कविताएं नामक शीर्षक से पांच खंडों में प्रकाशित हुईं.

उनकी कविता ‘अपनी गंध नहीं बेचूंगा’ की यह पंक्तियां – ‘चाहे सभी सुमन बिक जाएं, चाहे ये उपवन बिक जाएं, चाहे सौ फागुन बिक जाएं, पर मैं अपनी गंध नहीं बेचूंगा' बेहद प्रसिद्ध हैं.


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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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