प्रसिद्ध शायर गुलजार दहेलवी का निधन

Jun 13, 2020, 12:39 IST

उन्हें उर्दू शायरी और साहित्य में योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. पद्म श्री या पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है.

Noted Urdu poet Anand Mohan Zutshi Gulzar Dehlvi passes away in Hindi
Noted Urdu poet Anand Mohan Zutshi Gulzar Dehlvi passes away in Hindi

प्रसिद्ध उर्दू शायर आनंद मोहन जुत्शी उर्फ गुलजार देहलवी का 12 जून 2020 को निधन हो गया. वे 93 साल के थे. उनका निधन नोएडा स्थित उनके आवास पर हुआ. उन्होंने पांच दिन पहले ही कोरोना (कोविड-19) को हराया था.

बीते सात जून को उनकी कोरोना वायरस (Corona virus) की जांच रिपोर्ट दोबारा निगेटिव आयी थी जिसके बाद उन्हें घर वापस लाया गया. गुलज़ार देहलवी यानि पंडित आनंद मोहन जुत्शी की शायरी में हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब की झलक मिलती है.

उनके बेटे अनूप जुत्शी ने क्या कहा?

उनके बेटे अनूप जुत्शी ने कहा कि 07 जून 2020 को उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट दोबारा निगेटिव आई. उन्हें इसके बाद हम घर वापस लाए. उनको कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद 01 जून को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने कहा कि 12 जून 2020 को लगभग दोपहर ढाई बजे हमने खाना खाया और उसके बाद उनका निधन हो गया. वे काफी बूढ़े थे और संक्रमण के कारण काफी कमजोर भी हो गए थे. डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा होगा.

पुरस्कार और सम्मान

उन्हें उर्दू शायरी और साहित्य में योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. पद्म श्री या पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने हेतु दिया जाता है. भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है. उन्हें साल 2009 में ‘मीर तकी मीर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

आनंद मोहन जुत्शी के बारे में

• गुलजार देहलवी का असली नाम आनंद मोहन जुत्शी है. उनका जन्म 07 जुलाई 1926 को दिल्ली में हुआ था.

• गुलजार साहब ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी की. उन्होंने बचपन में ही शायरी की शुरुआत कर दी थी.

• गुलजार देहलवी भारत सरकार द्वारा साल 1975 में प्रकाशित पहली उर्दू विज्ञान पत्रिका ‘साइंस की दुनिया' के संपादक भी रह चुके हैं.

• गुलजार देहलवी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आजादी के आंदोलन के दौरान कई जलसों में अपनी शायरी से जोश भरा. जवाहरलाल नेहरू भी उनकी शायरी के मुरीद हुआ करते थे.

• गुलज़ार देहलवी का ताल्लुक़ दिल्ली की कश्मीरी पण्डित बिरादरी से था, जो सीता राम बाज़ार में बस गई थी.

• गुलजार साहब की शख्सियत का दूसरा पहलू ये था कि वे रामलीला मैदान में होने वाली रामलीला के आयोजन से भी सक्रिय रूप से जुड़ते थे.

• वे रामलीला मैदान के आसपास के स्कूलों में जाकर बच्चों को रामलीला के समय वालंटियर बनने के लिए आमंत्रित करते थे.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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