Nobel Prize in Literature 2021: ब्रिटेन में रह रहे तंजानिया के लेखक अब्दुलरज्जाक गुरनाह (Abdulrazak Gurnah) को वर्ष 2021 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature) के लिए चुना गया है. स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि ‘उपनिवेशवाद के प्रभावों को बिना समझौता किये और करुणा के साथ समझने’ में उनके योगदान हेतु पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है.
अब्दुलरज्जाक गुरनाह को उपनिवेशवाद के प्रभावों और संस्कृतियों व महाद्वीपों के बीच की खाई में शरणार्थियों की स्थिति के करुणामय चित्रण को लेकर सम्मानित किया गया है. उनके उपन्यासों में शरणार्थियों का मार्मिक वर्णन मिलता है. उन्होंने कहा कि वह पुरस्कार के लिए चुने जाने पर सम्मानित महसूस कर रहे हैं.
स्वीडिश एकेडमी ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि अब्दुलरज्जाक गुरनाह ने अपनी लेखनी के जरिए उपनिवेशवाद के प्रभावों, संस्कृतियों को लेकर काफी कुछ लिखा है। उन्होंने शरणार्थियों के भाग्य का निर्धारण करने के लिए अपनी अडिग और करुणामय लेखनी के माध्यम से दुनिया के दिलों में प्रेम पैदा किया है.
The 2021 Nobel Prize in Literature is awarded to the novelist Abdulrazak Gurnah “for his uncompromising and compassionate penetration of the effects of colonialism and the fate of the refugee in the gulf between cultures and continents” pic.twitter.com/AOoprBEEbS
— ANI (@ANI) October 7, 2021
अब्दुलरज्जाक गुरनाह कौन हैं?
- जांजीबार में 1948 में जन्मे अब्दुलरज्जाक गुरनाह 1968 में हिंद महासागरीय द्वीप में विद्रोह के बाद किशोर शरणार्थी के रूप में ब्रिटेन आ गये थे. इंग्लैंड में रहने वाले लेखक अब्दुलरज्जाक गुरनाह यूनिवर्सिटी ऑफ केंट में प्रोफेसर हैं.
- उनके उपन्यास ‘पैराडाइज’ को साल 1994 में बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था. उन्होंने कुल 10 उपन्यास लिखे हैं. उनके चौथे उपन्यास 'पैराडाइज' (1994) ने उन्हें एक लेखक के रूप में पहचान दिलाई थी.
- उन्होंने 1990 के आसपास पूर्वी अफ्रीका की एक शोध यात्रा के दौरान यही लिखी थी. यह एक दुखद प्रेम कहानी है जिसमें दुनिया और मान्यताएं एक-दूसरे से टकराती हैं.
- उन्होंने शरणार्थी अनुभव का जिस तरह वर्णन किया है वह कम ही देखने को मिला है. वे पहचान और आत्म-छवि पर फोकस करते हैं. उनकी लेखनी में शरणार्थी की समस्याओं का वर्णन अधिक है.
- उन्होंने 21 वर्ष की उम्र से लिखना शुरू किया था, हालांकि शुरुआत में उनकी लिखने की भाषा स्वाहिली थी. उन्होंने बाद में अंग्रेजी को अपनी साहित्य लेखनी का माध्यम बनाया.
2 बार स्थगित हो चुका है यह पुरस्कार
साल 1901 से शुरू हुए नोबेल पुरस्कार के 119 साल के इतिहास में दो बार साहित्य का नोबेल पुरस्कार स्थगित किया जा चुका है. साल 1943 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसे पहली बार स्थगित किया गया था. दूसरी बार इसे साल 2018 में स्थगित किया गया था.
पुरस्कार के रूप में क्या दिया जाता है?
नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक, एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (तकरीबन 8.20 करोड़ रूपये) की राशि दी जाती है. स्वीडिश क्रोनर स्वीडन की मुद्रा है. यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है. पहला नोबेल पुरस्कार साल 1901 में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिसिन, लिटरेचर और शांति के क्षेत्र में दिए गए थे.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation