ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने हेतु हरियाणा राज्य सरकार ने नीम, पीपल व बरगद के वृक्षों के रोपण को प्राथमिकता देने का निर्णय किया है. दक्षिण हरियाणा के जिलों में हवाई जहाज से रोहिड़ा का बीजारोपण किया जाएगा.
हरियाणा राज्य में विलायती बबूल (काबली कीकर) की अधिकता होने के कर्ण अनेक तरह की मुश्किलों का सामान करना पद रहा है. जिसमे ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण भी एक मुख्य वजह है.
प्रदेश सरकार ने अब विलायती बबूल (काबली कीकर) की जगह अब नीम, अमलतास जैसे छायाकार पौधे लगाए जाने का निर्णय किया है. नीम, पीपल व बरगद की त्रिवेणी ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहायक सिद्ध होगी.
प्रदेश सरकार के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने मंगलवार को समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि जुलाई में 68वें वन महोत्सव के दौरान चरणबद्ध ढंग से भिवानी, महेंद्रगढ़, सतनाली, लोहारु जैसे क्षेत्रों में काबली कीकर को हटाते हुए रोहिड़ा का विशेष हवाई बीजारोपण कराया जाए.
प्रदेश सरकार ने में कई जगह चिह्नित की हैं जहां नीम, पीपल व बरगद पौधे लगाकर वन क्षेत्र को बढ़ाया जाएगा.
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुनील गुलाटी के अनुस्सर स्वर्ण जयंती वर्ष में वन महोत्सव के तहत प्रदेश की ढाई करोड़ जनसंख्या के बराबर ही पौधरोपण किए जाने का लक्ष्य राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है.
राज्य सरकार का लक्ष्य-
- इसमें 60 लाख सफेदे, 13.50 लाख औषधीय पौधे और 20 लाख फलदार पौधे शामिल हैं.
- अकेले गुरुग्राम में 10 लाख पौधे लगाने का प्रस्ताव है.
- भिवानी, महेंद्रगढ़, सतनाली, लोहारू में हवाई जहाज से रोहिड़ा का बीजारोपण किया जाएगा.
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