पोप फ्रांसिस ने 13 अक्टूबर 2019 को केरल की नन मरियम थ्रेसिया को मृत्यु के 93 साल बाद ‘संत’ की उपाधि दी है. यह उपाधि नन मरियम थ्रेसिया को उनके निधन के 93 साल बाद दी गई है. यह उपाधि उन्हें लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु दी गई. पोप फ्रांसिस ने यह उपाधि वेटिकन सिटी में आयोजित समारोह में दी.
इस समारोह में भारतीय नन मरियम थ्रेसिया के साथ चार अन्य ईसाई धर्म गुरुओं को भी मरणोपरांत संत की उपाधि से नवाजा गया. ब्रिटिश कार्डिनल जॉन हेनरी न्यूमैन, स्विस लेवीमेन मार्गरेट बेज, ब्राजील की सिस्टर डुल्स लोप्स तथा इतालवी सिस्टर गिसेपिना वानीनि को भी संत घोषित किया गया.
सिस्टर मरियम को यह उपाधि मिलने के साथ ही केरल के सीरियन मालाबार चर्च से अब चार संत हो गये हैं. सिस्टर मरियम ने आठ साल की उम्र में खुद को भगवान को समर्पित कर दिया था. वे आठ साल की उम्र से ही उपवास और प्रार्थना करना शुरू कर दिया था. उनके दोस्तों ने बचपन से ही उन्हें संत कहना शुरू कर दिया था.
मरियम थ्रेसिया के बारे में
• मरियम थ्रेसिया 26 अप्रैल 1876 को केरल के त्रिशूर में पैदा हुई थीं. उन्होंने ‘होली फैमिली’ नाम की एक धर्मसभा की स्थापना की थी.
• उनको लड़कियों की शिक्षा तथा उनके सशक्तीकरण हेतु किये गए कामों के लिए भी याद किया जाता है. उनके द्वारा साल 1914 में स्थापित इस संस्था में अब लगभग 2000 नन हैं.
• उन्होंने केरल के गरीबों और कुष्ठ रोग तथा चेचक से पीड़ित लोगों की खूब सेवा की.
• सिस्टर मरियम थ्रेसिया की सेवा के कारण से हमेशा उनकी तुलना मदर टेरेसा से की जाती रही है.
मरियम थ्रेसिया के बारे में पीएम मोदी
पीएम मोदी ने 29 सितंबर 2019 को मन की बात कार्यक्रम में सिस्टर मरियम के बारे में उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि देश को सिस्टर मरियम पर गर्व है. उन्होंने 50 साल के अपने छोटे जीवनकाल में मानवता की भलाई के लिए जो काम किया है, वह पूरी विश्व के लिए एक मिसाल है. पीएम मोदी ने यह भी कहा की हमारे लिए गर्व की बात है कि उन्हें संत की उपाधि दी जायेगी.
पोप ने मरियम के 'चमत्कार' को माना
होली फेमली के अनुसार, नौ महीने से पहले जन्मा एक बच्चा जीवन और मृत्यु से जूझ रहा था. डॉक्टरों ने एक विशेष वेंटिलेटर के जरिए एक खास दवा देने हेतु कहा था जो उस समय हॉस्पिटल में मौजूद नहीं था. तीसरे दिन बच्चा सांस लेने के समय हांफने लगा. बच्चे के माता-पिता और दादा-दादी सिस्टर मरियम के बहुत बड़े भक्त थे.
यह भी पढ़ें:उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू 'कोमोरोस' का सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित
बच्चे की दादी ने उसके ऊपर एक धार्मिक चिन्ह रखकर सभी लोगों से सिस्टर मरियम की प्रार्थन करने हेतु आग्रह किया. ऐसा करने के 20 मिनट से 30 मिनट के अंदर ही बच्चे के स्वास्थ्य में 'बहुत बड़ा बदलाव' आ गया. यह घटना 9 अप्रैल 2009 को हुई थी. रोम में इसी दिन सिस्टर मरियम को 'धन्य' घोषित किया गया था. 22 मार्च 2018 को वेटिकन सिस्टर मरियम के इस 'चमत्कार' को स्वीकार किया था. पोप ने उन्हें 'संत' की उपाधि दी है.
यह भी पढ़ें:जानिए कौन थे जोसेफ एंटोनी फर्डिनेंड पठार, जिनकी याद में गूगल ने बनाया डूडल
यह भी पढ़ें:Forbes India Rich List 2019: मुकेश अंबानी बने फिर सबसे अमीर भारतीय
करेंट अफेयर्स ऐप से करें कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी,अभी डाउनलोड करें| Android|IOS
Comments
All Comments (0)
Join the conversation