पीएसयू तथा बैंकों में क्रीमी लेयर आरक्षण लागू करने की घोषणा

Aug 31, 2017, 12:14 IST

पीएसयू और अन्य संस्थाओं में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 30 अगस्त 2017 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी पदों के साथ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के उपक्रमों, बैंकों में पदों की समतुल्यता तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण लाभों का दावा करने के लिए मंजूरी प्रदान की.

क्रीमीलेयर से बाहर किए जाने के लिए आय की सीमा में वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी को देखते हुए की गई है और इससे ओबीसी को सरकारी सेवाओं में प्रदान किए गए लाभों तथा केन्द्रीय शैक्षिक संस्थाओं में दाखिले के लिए ज्यादा-से-ज्या़दा लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा.

घोषणा के मुख्य बिंदु
•    इस घोषणा से पिछले 24 वर्षों से लंबित चला आ रहा मुद्दा समाप्त हो जायेगा.
•    इससे पीएसयू और अन्य संस्थाओं में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों को सरकार में निम्न श्रेणियों में काम कर रहे लोगों के बच्चों के समान ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.
•    इससे ऐसे संस्थाओं में वरिष्ठ पदों पर काम कर रहे लोगों के बच्चों को इस लाभ से रोक लग सकेगी जिन्हें ओबीसी के लिए आरक्षित सरकारी पदों को दरकिनार कर आय मापदंडों की गलत व्याख्या के चलते तथा पदों की समतुल्यता के अभाव में गैर-क्रीमीलेयर मान लिया जाता था और वास्ताविक गैर-क्रीमीलेयर उम्मी‍दवार इस आरक्षण सुविधा से वंचित रह जाते थे.
•    सरकार के प्रयासों में इन उपायों से ओबीसी के सदस्यों को बृहदत्तर सामाजिक न्याव और समावेशन सुनिश्चित हो सकेगा.
•    सरकार ने, संविधान के अनुच्छेद 340 के अन्तर्गत ओबीसी की उप-श्रेणियों के निर्माण के लिए एक आयेाग की स्था‍पना की है जिससे ओबीसी समुदायों के बीच और अधिक पिछड़े लोगों की शिक्षण संस्थाओं एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लाभों तक पहुंच बन सके.

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पृष्ठभूमि

उच्चतम न्यायालय ने याचिका (सी) 930/1990 (इंद्रा साहनी मामला) में दिनांक 16.11.1992 के अपने निर्णय में सरकार को संगत और आवश्यक सामाजिक-आर्थिक मानदण्डों को लागू करके अन्य पिछड़ा वर्गों से सामाजिक तथा आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों के अपवर्जन के लिए आधार विनिर्दिष्ट करने का निदेश दिया था.

फरवरी, 1993 में एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी जिसने अन्य पिछड़ा वर्गों के बीच सामाजिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों अर्थात क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए मानदण्ड विनिर्दिष्ट करते हुए दिनांक 10.03.1993 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. इस रिपोर्ट को तत्कालीन कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वीकार कर लिया गया था और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को अग्रेषित कर दिया गया था जिसने क्रीमी लेयर के अपवर्जन के संबंध में दिनांक 08.09.1993 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था.
केंद्र सरकार ने ओबीसी क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने हेतु मंजूरी प्रदान की

उसके पश्चात, समतुल्यता स्थापित करने संबंधी मामले की विस्तृत जांच की गई है. सार्वजनिक उपक्रमों में सभी कार्यपालक स्तर के पदों अर्थात् बोर्ड स्तरीय कार्यपालक अधिकारियों और प्रबंधक स्तरीय पदों को सरकार में समूह ‘क’ पदों के समतुल्य समझा जाएगा तथा क्रीमी लेयर माना जाएगा. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा निगमों के कनिष्ठ प्रबंधन ग्रेड स्तर-1 तथा इससे ऊपर को भारत सरकार में समूह ‘क’ के समतुल्य समझा जाएगा और क्रीमी लेयर माना जाएगा. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा निगमों में लिपिकों एवं चपरासियों हेतु, समय-समय पर यथा संशोधित आय का मानदंड प्रयोज्य होगा. ये व्यापक दिशा-निर्देश हैं तथा प्रत्येक पृथक बैंक, पीएसयू, बीमा कंपनी अपने संबंधित बोर्ड के समक्ष मामले को प्रस्तुत करेंगे ताकि विशिष्ट पद की पहचान की जा सके.

(स्रोत: पीआईबी)

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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