इस 27 अक्टूबर, 2020 को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दो वेब पोर्टल्स शुरू किए हैं. अंतर-जातीय विवाहित जोड़ों की मदद करने के लिए, आवेदन के 60 दिनों के भीतर प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए सुमंगल पोर्टल शुरू किया गया है. जबकि राज्य के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए एकीकृत ओडिशा राज्य छात्रवृत्ति पोर्टल शुरू किया गया है.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, छात्रवृत्ति के लिए शुरू किया गया यह पोर्टल छात्रों और सरकारी विभागों के बीच की दूरी को कम कर देगा, क्योंकि राज्य के छात्र अब अपने घर से ही छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे. दूसरी ओर, सुमंगल पोर्टल अंतर-जातीय विवाह करने वाले जोड़ों को प्रोत्साहन राशि हासिल करने में सुगमता प्रदान करने में मदद करेगा क्योंकि इस प्रकार के विवाह सामाजिक एकता और सद्भाव का कारण बनते हैं.
ओडिशा राज्य छात्रवृत्ति पोर्टल: मुख्य विशेषताएं
- राज्य के अधिकारियों के अनुसार, आठ राज्य विभागों से 21 छात्रवृत्तियों की पेशकश की जाएगी और ST, SC, OBC और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के 11 लाख से अधिक छात्रों को इस छात्रवृत्ति पोर्टल से लाभान्वित किया जाएगा.
- उच्च शिक्षा, SC और ST विभाग, श्रम और ESI, कृषि विभाग और कौशल विकास, और तकनीकी शिक्षा के व्यावसायिक कार्यक्रमों को छात्रवृत्ति पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा.
- छात्रों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति को सीधे क्रेडिट किया जाएगा क्योंकि यह पोर्टल राज्य के खजाने से सीधे जुड़ा हुआ है.
- प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ, लाभार्थियों को दक्षता और पारदर्शिता के साथ सही समय पर सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान की जाएंगी.
सुमंगल पोर्टल का शुभारंभ और इसका महत्व
ओडिशा के मुख्यमंत्री, नवीन पटनायक ने सुमंगल पोर्टल का उद्घाटन करते हुए यह कहा कि, अंतर-जातीय विवाह सामाजिक एकता और सद्भाव बढ़ाने में मदद करते हैं और नस्लीय भेदभाव को कम करते हैं. ऐसा विवाह समाज में समानता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को भी बढ़ावा देता है.
इस पोर्टल को शुरू करने के दौरान, जो अंतर-जातीय विवाह प्रोत्साहन प्राप्त करने वाले जोड़े को मदद करेगा, ओडिशा के मुख्यमंत्री ने इस अंतर-जातीय विवाह प्रोत्साहन राशि को भी 01 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया है.
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन प्राप्त करने की शर्तें
- एकमुश्त प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए, यह विवाह उच्च जाति के हिंदुओं और निम्न जाति के हिंदुओं के बीच होना चाहिए.
- यह विवाह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पंजीकृत होना चाहिए और कानून के अनुसार वैध होना चाहिए.
- पति-पत्नी में से एक अनुसूचित जाति से होना चाहिए जैसाकि, अनुच्छेद 341 के तहत परिभाषित किया गया है.
- अनुदान केवल पहली बार शादी करने वाले लोगों को ही प्रदान किया जाएगा.
- विधवा या विधुर के मामले में, वे अभी भी प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे.
- व्यवसाय शुरू करने या घर के लिए भूमि या आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए भी यह प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा.
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