ओमान की लेखिका जोखा अल्हार्थी को बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला

May 22, 2019, 15:48 IST

अल्हार्थी ने यह पुरस्कार जीतकर ओमान में इतिहास रच दिया है. जोखा अरबी भाषा की पहली लेखिका हैं, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है.

Omani author Jokha Alharthi wins Man Booker International Prize
Omani author Jokha Alharthi wins Man Booker International Prize

ओमान की लेखिका जोखा अल्हार्थी को साल 2019 के लिए प्रतिष्ठित मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है. जोखा अल्हार्थी को उनकी किताब ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ के लिए ये सम्मान दिया जा रहा है.

अल्हार्थी ने यह पुरस्कार जीतकर ओमान में इतिहास रच दिया है. जोखा अरबी भाषा की पहली लेखिका हैं, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया है. बुकर पुरस्कार के जजों की समिति इस पुस्तक की इन्हीं खूबियों को विश्व के सामने लाना चाहती है.

‘सेलेस्टियल बॉडीज’ किताब:

ओमान की तीन बहनों पर केंद्रित मूलतः अरबी में लिखे गए इस उपन्यास का मर्लिन बूथ ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है. यह कहानी तीन बहनों और एक मरुस्थली देश की है, जो दासता के अपने इतिहास से उबरकर जटिल आधुनिक विश्व के साथ तालमेल करने की जद्दोजहद करता है. यह उपन्यास दासता, लैंगिक भेदभाव और रूढ़ियों को लेकर लिखे गए सभी साहित्यों से अलग है.

जोखा अल्हार्थी की यह जीत इस मायने में भी बहुत खास है क्योंकि उनकी रचना मूल रूप से अरबी में है और इसके अंग्रेजी में अनुवाद को बुकर पुरस्कार की चयन समिति ने चुना है.

बुकर पुरस्कार को लेकर जोखा अल्हार्थी का मुकाबला कई प्रसिद्ध लोगों और पुराने विजेताओं से भी था. इनमें ओल्गा टोकरजुक, फ्रांस की साहित्यकार एनी एर्नॉक्स तथा कोलंबिया की युआन गैब्रियल वैस्केज से था.

पुरस्कार:

जोखा अल्हार्थी को बुकर पुरस्कार में जीत के रूप में पचास हजार पाउंड अर्थात 44 लाख रुपए से ज्यादा की रकम मिलेगी. उन्होंने इस रकम को अपने उपन्यास ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ की अनुवादक अमेरिका की मर्लिन बूथ के साथ बांटने का फैसला किया है. यह पुरस्कार ‘सेलेस्टियल बॉडीज’ ने यूरोप और दक्षिण अमेरिका की पांच प्रविष्ठियों को पछाड़कर हासिल किया है.

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मैन बुकर पुरस्कार के बारे में:

मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है. यह आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास हेतु प्रत्येक साल दिया जाता है. बुकर पुरस्कार की स्थापना साल 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी.

इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है. पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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