केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21 अप्रैल 2018 को एक बड़े फैसले के तहत पोक्सो एक्ट में बदलाव के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी. इस बैठक में 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी पॉक्सो एक्ट में संशोधन को हरी झंडी दी गई. इस संशोधन के तहत देश में 12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप के दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी.
मौजूदा पॉक्सो एक्ट के प्रावधान
दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद कानूनों में संशोधन किये गये जिसके तहत पॉक्सो कानून के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है. इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया.
कैबिनेट निर्णय के तहत नये बदलाव
• 12 साल की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा
• 16 साल से छोटी लड़की से गैंगरेप पर उम्रकैद की सजा
• 16 साल से छोटी लड़की से रेप पर कम से कम 20 साल तक की सजा
• सभी रेप केस में 6 महीने के भीतर फैसला सुनाना होगा
• नए संशोधन के तहत रेप केस की जांच 2 महीने में पूरी करनी होगी
• अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी
• महिला से रेप पर सजा 7 से बढ़कर 10 साल होगी
पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के उन्नाव के अलावा और जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग बच्ची के बाद सामने आ रही ऐसी घटनाओं को लेकर देशभर में गुस्से के माहौल था. चारों तरफ से रेप के दोषियों को सजा दिलाने की मांग उठ रही है. इसी पृष्ठभूमि में सरकार बच्चों को यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने की योजना बना रही थी. पॉक्सो कानून के फिलहाल प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है. वहीं, न्यूनतम सजा 7 साल की जेल है.
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