पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल 2018 को सार्वजनिक पद संभालने से आजीवन भर के लिए अयोग्य करार दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि अब वे जिंदगी में कभी भी सियासत नहीं कर पाएंगे.
अयोग्य:
पांच जजों की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 62 (1) (एफ़) के अंतर्गत नवाज शरीफ को अयोग्य ठहराया है. कोर्ट ने नवाज शरीफ के अलावा पीटीआई नेता जहांगीर तरीन को भी हमेशा के लिए अयोग्य करार दिया है. फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि सरकारी प्रतिनिधियों को हमेशा सच्चा होना चाहिए.
अनुच्छेद 62 (1) (एफ़):
अनुच्छेद 62 (1) (एफ़) में प्रावधान है कि संसद सदस्य बनने वाले नेता को ‘सादिक़ और अमीन’ यानी ‘ईमानदार और नेक’ होना चाहिए.
नवाज शरीफ अध्यक्ष पद से हटे थे:
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत अयोग्य ठहराया गया कोई भी व्यक्ति राजनीतिक पार्टी का मुखिया नहीं रह सकता. इस फैसले के बाद ही नवाज शरीफ को पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के अध्यक्ष पद से हट गए थे.
पृष्ठभूमि:
अनुच्छेद 62 (1) (एफ़) के आधार पर इससे पहले पनामा पेपर्स मामले में भी शरीफ़ को प्रतिबंधित किया गया था. उन्हें इसके बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय पीठ ने पिछले साल 28 जुलाई को राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) को नवाज और उनके बच्चों के खिलाफ जवाबदेही अदालत में भ्रष्टाचार मामले में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया था. साथ ही ट्रायल कोर्ट को छह हफ्ते में इस संदर्भ में फैसला करने का निर्देश भी दिया गया था.
पनामा पेपर्स मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया समूहों के एक संगठन ने उजागर किया था. इसमें दुनिया भर के उन तमाम लोगों के नाम सामने लाए गए थे जिन्होंने पनामा जैसे छोटे से देश की कानूनी फ़र्म की मदद से फ़र्ज़ी कंपनियां बनाकर अपने काले धन को विदेश में ठिकाने लगाया.
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