संसद में ग्रैच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित

इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद निजी क्षेत्रों में नौकरी करने वाले लोगों को फायदा होगा. साथ ही 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी की रकम टैक्स फ्री हो जाएगी.

Mar 23, 2018, 13:03 IST
Parliament passes Payment of Gratuity (Amendment) Bill
Parliament passes Payment of Gratuity (Amendment) Bill

संसद ने 22 मार्च 2018 को ग्रैच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक को पारित किया जो कि सरकार को कर मुक्त ग्रैच्युरिटी और एक कार्यकारी आदेश के साथ मातृत्व अवकाश की अवधि तय करने के लिए सशक्त बनाएगा.

यह विधेयक राज्यसभा में पारित कर दिया गया जबकि लोकसभा में इसे 15 मार्च 2018 को ही पारित कर दिया गया था. इस विधेयक को बिना बहस के ही दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई.

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महत्व:

इस कानून को लागू करने का मुख्यन उद्देश्यन सेवानिवृत्ति  के बाद कर्मचारियेां को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है चाहे उनकी सेवानिवृत्ति  उम्र पूरी हो जाने की वजह से या शारीरिक अक्षमता या फिर शरीर के अहम हिस्सेे को हानि की वजह से हुई हो.

 

ग्रैच्युटी क्या है?

  • ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है, जो कर्मचारी को उसकी सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है.
  • आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के मुताबिक किसी भी निगम या कंपनी में न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी हासिल कर सकता है.
  • कर्मचारी को उसकी सेवा के प्रत्येक वर्ष के बदले 15 दिनों का वेतन ग्रेच्युटी को तौर पर दिया जाता है. इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता का योग शामिल होता है.
  • कर्मचारी सेवानिवृत्ति से पहले भी कई बार नौकरी छोड़ते हैं, उस स्थिति में भी न्यूनतम सेवा योगदान देने वाले को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है.

 

 

मुख्य तथ्य:

  • केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक पेश किया जिसे सदन ने चर्चा किये बिना ही ध्वनिमत से पारित कर दिया.
  • विधेयक में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों की तर्ज पर निजी के क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने और महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि मौजूदा 12 सप्ताह से बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.
  • निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों के मामले में भी मुद्रास्‍फीति और वेतन वृद्धि को देखते हुए सरकार ने फैसला किया कि ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 के तहत आने वाले कर्मचारियों के लिए भी ग्रैच्‍युटी के अधिकार में संशोधन किया जाना चाहिए.
  • अधिनियम के कानून बनने के बाद ग्रैच्‍युटी भुगतान कानून, 1972 के तहत ग्रैच्‍युटी की राशि की सीमा अधिसूचित करने की शक्‍ति केंद्र सरकार को दे दी जाएगी ताकि वेतन में वृद्धि, मुद्रास्‍फीति और भविष्‍य में वेतन आयोगों को देखते हुए समय-समय पर ग्रैच्‍युटी की सीमा को संशोधित किया जा सके.

 

पृष्ठभूमि:

7 वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन के बाद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी राशि की अधिकतम सीमा दोगुनी होकर 20 लाख हो गई. ग्रैच्युटी कानून के भुगतान में संशोधन मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 की पृष्ठभूमि में आता है जिसमें अधिकतम प्रसूति अवकाश अवधि 26 सप्ताह तक बढ़ सकती है.

 

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Education Desk

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